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भारत और फ्रांस मिलकर बनाएंगे स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ जेट इंजन

भारत और फ्रांस ने मिलकर स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ जेट इंजन के विकास की योजना बनाई है। यह प्रोजेक्ट डीआरडीओ द्वारा संचालित होगा और इसमें फ्रांस की एयरोस्पेस कंपनी साफरान का सहयोग होगा। इस परियोजना की लागत लगभग सात अरब डॉलर होने का अनुमान है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे हरी झंडी दे दी है, जिससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूती मिलेगी। जानें इस महत्वपूर्ण विकास के बारे में और अमेरिका के लिए इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

भारत-फ्रांस का नया रक्षा प्रोजेक्ट

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर भारी टैरिफ लगाने के निर्णय के बाद, दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया है। इस स्थिति के बीच, भारत ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब भारत फ्रांस के सहयोग से स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट इंजन विकसित करने की योजना बना रहा है।


जानकारी के अनुसार, डीआरडीओ इस प्रोजेक्ट को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के पास मंजूरी के लिए भेजने की तैयारी कर रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस की एयरोस्पेस कंपनी साफरान इस परियोजना के तहत भारत को पूरी तकनीक हस्तांतरित करेगी। दोनों देश मिलकर 120 किलोन्यूटन थ्रस्ट वाला इंजन विकसित करेंगे। डीआरडीओ ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। साफरान पहले भी भारत में हेलीकॉप्टर इंजन निर्माण में सहयोग कर चुकी है।


डीआरडीओ का कहना है कि यह इंजन भारत के आगामी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एएमसीए (AMCA) के लिए उपयुक्त होगा। इस प्रोजेक्ट में डीआरडीओ की गैस टरबाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (GTRE) भी शामिल की जाएगी। अनुमान है कि इस परियोजना की कुल लागत लगभग सात अरब डॉलर होगी।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना आवश्यक है। हाल ही में वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर विमानों की कमी का मुद्दा उठाया था, जिसमें कहा गया था कि आने वाले वर्षों में कई विमान रिटायर होंगे और उनकी जगह आधुनिक विमानों की आवश्यकता होगी।


भारत और फ्रांस के इस कदम से दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को नया बल मिलने की संभावना है। यह निर्णय अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है, खासकर जब वह भारत पर व्यापारिक दबाव बना रहा है।