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भारत की निर्यात नीति में नया मोड़: अमेरिका और EU के साथ समझौता अंतिम चरण में

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की निर्यात नीति को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता अंतिम चरण में है, जिससे भारत 2030 तक 2,000 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का निर्यात 825 अरब डॉलर तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6% अधिक है। सीतारमण ने निर्यातकों से नवाचार और नए बाजारों की खोज करने का आग्रह किया।
 

भारत की निर्यात नीति को लेकर वित्तमंत्री का बड़ा बयान

भारत की निर्यात नीति में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक संकेत वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा दिया गया है। उन्होंने मंगलवार को बताया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) की बातचीत अब अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। यदि यह समझौता सफल होता है, तो भारत 2030 तक लगभग 172 लाख करोड़ रुपये (2,000 अरब डॉलर) के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है.


मुक्त व्यापार समझौतों की दिशा में तेजी

दिल्ली में आयात-निर्यात बैंक के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, वित्तमंत्री ने कहा कि भारत अब मुक्त व्यापार समझौतों की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार निर्यातकों को नए बाजारों में भारतीय उत्पादों को पहुँचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.


अमेरिका और EU के साथ समझौता जल्द

वित्तमंत्री ने जानकारी दी कि भारत पहले ही UAE, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के चार देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर चुका है। ब्रिटेन के साथ वार्ता भी पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है और हमें विश्वास है कि जल्द ही इस पर ठोस नतीजे सामने आएंगे, जिससे भारत, अमेरिका और यूरोप तीनों को लाभ होगा.


भारत का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर

सीतारमण ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल वस्तु और सेवा निर्यात 825 अरब डॉलर तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6% अधिक है। जबकि वैश्विक निर्यात में केवल 4% की वृद्धि हुई, भारत की ग्रोथ 6.3% रही है। उन्होंने इसे भारत की नीतियों, लचीलापन और निर्यातकों की मेहनत का परिणाम बताया.


नवाचार और नए बाजारों पर ध्यान

वित्तमंत्री ने निर्यातकों से आग्रह किया कि वे नवाचार को प्राथमिकता दें और पारंपरिक बाजारों से आगे बढ़कर नए अवसरों की खोज करें। उन्होंने कहा, 'हम निर्यातकों को हर संभव सहायता प्रदान करेंगे, लेकिन उन्हें अपनी रणनीतियों में नवाचार और विविधीकरण को शामिल करना होगा.'


भारत की स्थिरता का उदाहरण

वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने भी मंच से कहा कि जहां दुनिया भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितताओं का सामना कर रही है, वहीं भारत एक उम्मीद की किरण बना हुआ है। उन्होंने कहा, 'भारत का निर्यात वैश्विक संकटों के बावजूद स्थिर गति से आगे बढ़ रहा है, जो देश की आर्थिक नीतियों की मजबूती का प्रमाण है.'


मजबूत निर्यात क्षेत्र

नागराजू ने बताया कि दवा और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों में निर्यात में मजबूती देखी गई है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की वित्तीय प्रणाली इस समय मजबूत स्थिति में है, जिसमें कम NPA, पर्याप्त पूंजी और पारदर्शिता शामिल हैं, जो भारत की निर्यात क्षमता को समर्थन प्रदान कर रहे हैं.


सरकार की निर्यात समर्थन योजनाएं

वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत की वैश्विक व्यापार में भागीदारी को मजबूत करने के लिए सरकार निर्यातकों को नीतिगत समर्थन, योजनाओं और वित्तीय सहायता के माध्यम से सहयोग देती रहेगी। इसके साथ ही, लॉजिस्टिक्स, टैक्स इंसेंटिव और डिजिटल व्यापार को भी प्राथमिकता दी जा रही है.