भारत ने HAL के साथ किया LCA Tejas Mk1A का ऐतिहासिक सौदा, जानें इसके फायदे
LCA Tejas Mk1A का महत्वपूर्ण अनुबंध
LCA Tejas Mk1A Contract : भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने 25 सितंबर को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ एक महत्वपूर्ण अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत भारतीय वायुसेना के लिए 97 हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस Mk1A खरीदे जाएंगे। इस ऑर्डर में 68 सिंगल-सीटर और 29 ट्विन-सीटर विमान शामिल हैं। कुल लागत ₹62,370 करोड़ (करों को छोड़कर) से अधिक है। यह सौदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट सुरक्षा समिति द्वारा स्वीकृति दिए जाने के एक महीने बाद अंतिम रूप दिया गया है.
HAL को मिला दूसरा सबसे बड़ा LCA कॉन्ट्रैक्ट
यह HAL को दिया गया दूसरा सबसे बड़ा LCA कॉन्ट्रैक्ट है, जो पहले 2021 में हस्ताक्षरित Mk1A डील के बाद आया है। नए अनुबंध में कई अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणालियों को शामिल किया गया है, जैसे उत्तम AESA रडार, स्वयं रक्षा कवच, और नियंत्रण सतह एक्टुएटर्स, जो भारत के आत्मनिर्भरता अभियान को और मजबूती प्रदान करते हैं.
‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा बड़ा प्रोत्साहन
यह परियोजना केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह भारत की घरेलू एयरोस्पेस इंडस्ट्री को भी बड़ा बढ़ावा देगी। इसमें लगभग 105 भारतीय कंपनियों की भागीदारी होगी, जो विभिन्न पुर्जों और घटकों के निर्माण में संलग्न हैं। अनुमान है कि अगले छह वर्षों में प्रति वर्ष करीब 11,750 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। यह न केवल तकनीकी कौशल विकास को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि देश की औद्योगिक आत्मनिर्भरता को भी नई दिशा देगा.
IAF को मिलेंगे तेजस Mk1A जैसे उन्नत विमान
तेजस Mk1A भारत का अब तक का सबसे उन्नत स्वदेशी लड़ाकू विमान है, जिसे विशेष रूप से भारतीय वायुसेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन और विकसित किया गया है। यह सौदा न केवल IAF के बेड़े की क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि पुराने मिग-21 जैसे विमानों के रिटायरमेंट से बने गैप को भी प्रभावी ढंग से भरने में मदद करेगा.
यह अनुबंध रक्षा मंत्रालय की ‘Buy (India-IDDM)’ श्रेणी के अंतर्गत किया गया है, जो रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 का हिस्सा है और ‘मेक इन इंडिया’ के विज़न को धरातल पर उतारता है.
HAL और भारतीय रक्षा उद्योग को मिलेगा वैश्विक मंच
यह डील HAL के लिए न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को मजबूत करने वाली है। HAL के नेतृत्व में यह परियोजना भारतीय कंपनियों को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक मानकों के अनुसार कार्य करने का अनुभव प्रदान करेगी, जिससे भविष्य में रक्षा निर्यात की संभावनाएं भी और अधिक सशक्त होंगी.