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भारत में UPI ट्रांजेक्शन में अभूतपूर्व वृद्धि: डिजिटल भुगतान का नया युग

भारत में यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने हाल के वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 में 83.7% की वृद्धि शामिल है। मई 2025 में 18.68 बिलियन लेन-देन हुए, जो अप्रैल की तुलना में अधिक हैं। यूपीआई की सफलता का मुख्य कारण इसकी सरलता और सुरक्षा है, जो इसे व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए एक प्रभावी भुगतान प्रणाली बनाती है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूपीआई के दायरे को 20 देशों तक विस्तारित करने की योजना बनाई है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर भी लोकप्रिय हो रहा है।
 

UPI लेन-देन की अद्भुत वृद्धि

UPI Transactions: भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने हाल के वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में, यूपीआई लेन-देन में 83.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक है। केवल मई 2025 में, 18.68 बिलियन लेन-देन हुए, जो अप्रैल के मुकाबले 4 प्रतिशत अधिक है। भारतीय रुपये में, मई में कुल 25.14 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 23.95 लाख करोड़ रुपये था।


UPI का विकास: एक नई डिजिटल क्रांति

नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के अनुसार, यूपीआई लेन-देन में सालाना 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस तेजी से बढ़ते डिजिटल भुगतान के चलते, मई में औसतन हर दिन 602 मिलियन यूपीआई लेन-देन हुए, जिनका कुल मूल्य 81,106 करोड़ रुपये है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि यूपीआई ने भारत में डिजिटल भुगतान के लिए एक मजबूत स्थान बना लिया है।


UPI का वैश्विक विस्तार

2016 में शुरू हुए यूपीआई ने नोटबंदी के बाद अपनी पहचान बनाई और अब यह देश के सबसे लोकप्रिय डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों में से एक बन चुका है। स्मार्टफोन की बढ़ती उपलब्धता और ऐप्स जैसे PhonePe, Google Pay और Paytm के आगमन से यूपीआई का उपयोग और भी बढ़ा है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने यह भी घोषणा की है कि वह अगले चार वर्षों में यूपीआई के दायरे को 20 देशों तक विस्तारित करेगा। वर्तमान में, भूटान, फ्रांस, नेपाल, मॉरिशस, सिंगापुर, श्रीलंका और यूएई जैसे देशों में भारतीय यूपीआई एप्स को क्यूआर कोड के माध्यम से स्वीकार किया जा रहा है।


UPI का योगदान और भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

यूपीआई की सफलता का मुख्य कारण यह है कि यह एक सरल, सुरक्षित और तेज़ तरीका है डिजिटल भुगतान करने का। यह सेवा न केवल सामान्य उपयोगकर्ताओं के लिए है, बल्कि व्यापारियों और सरकारी सेवाओं के लिए भी अत्यंत लाभकारी साबित हो रही है। यूपीआई ने छोटे और मंझले व्यापारियों के लिए लेन-देन को सरल बनाया है और भारतीय उपभोक्ताओं के लिए एक प्रभावी भुगतान प्रणाली बन गई है। इसके चलते, नगदी के उपयोग में कमी आई है और लोग अधिक से अधिक डिजिटल लेन-देन की ओर बढ़ रहे हैं। इससे भारत में कैशलेस लेन-देन की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है, जो भविष्य में और भी बढ़ने की संभावना है।