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भारत में ईवीएम और कोविड वैक्सीन पर सरकार की प्रतिक्रिया

भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और कोविड वैक्सीन पर सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर हाल के घटनाक्रमों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जब भी ईवीएम में गड़बड़ी की बात होती है, सरकार तुरंत सक्रिय हो जाती है। वहीं, कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर भी चर्चा हो रही है, खासकर जब स्वस्थ युवाओं में दिल के दौरे की घटनाएं बढ़ रही हैं। क्या वैक्सीन का इन घटनाओं से कोई संबंध है? जानिए इस लेख में।
 

ईवीएम पर भारत सरकार की संवेदनशीलता

जब भी कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में किसी प्रकार की गड़बड़ी की बात करता है, भारत सरकार तुरंत प्रतिक्रिया देती है। चुनाव आयोग इस मुद्दे पर बेहद संवेदनशील है। हाल ही में, चुनाव आयोग ने अमेरिका की इंटेलिजेंस प्रमुख को यह स्पष्ट किया कि उनकी ईवीएम मशीनें हैक हो सकती हैं, लेकिन भारत की नहीं। इसी तरह, कोविड वैक्सीन के मामले में भी सरकार की प्रतिक्रिया जज्बाती होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि कोविड वैक्सीन ने भारत सरकार को अपना ब्रांड एंबेसेडर बना लिया है। हाल ही में, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और एम्स ने यह कहा है कि हाल के दिल के दौरे में वैक्सीन का कोई योगदान नहीं है।


दिल के दौरे और वैक्सीन का संबंध

मान लेते हैं कि वैक्सीन का कोई संबंध नहीं है, लेकिन यह तो स्पष्ट है कि कुछ न कुछ हो रहा है। लोग अचानक गिरकर मर रहे हैं, और स्वस्थ युवा भी दिल के दौरे का शिकार हो रहे हैं। अगर वैक्सीन का कोई दोष नहीं है, तो इसके पीछे का कारण जानना भी आवश्यक है। हाल ही में कर्नाटक के हासन में 22 लोगों की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हुई है। सरकार ने यह घोषणा की है कि इसका वैक्सीन से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की चर्चा हो रही है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में यह पाया गया है कि मोटे और मधुमेह के मरीजों में वैक्सीन के कारण सूजन और रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। कई अन्य शोध भी इस बात की पुष्टि करते हैं। इसके बावजूद, भारत सरकार ने सभी वैक्सीनेशन को सुरक्षित घोषित कर दिया है।