भारत में टोल टैक्स: नया सालाना पास और उसकी चुनौतियाँ
टोल वसूली का नया तरीका
भारत में टोल टैक्स की वसूली एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्य सरकारों का मुख्य उद्देश्य टोल वसूलना है। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक नए सालाना पास की घोषणा की है, जिसकी कीमत तीन हजार रुपये होगी। इस पास के माध्यम से उपयोगकर्ता दो सौ बार टोल नाका पार कर सकेंगे। मंत्री का दावा है कि इससे लोगों को राहत मिलेगी, उनके खर्च में कमी आएगी और टोल नाकों पर लगने वाला समय भी घटेगा।
हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या फास्टैग की शुरुआत भी इसी तरह की सुविधाओं के वादे के साथ हुई थी? फास्टैग के माध्यम से सुविधाजनक यात्रा का आश्वासन दिया गया था, लेकिन आज भी टोल नाकों पर लंबी कतारें देखी जाती हैं। अब इसी तर्ज पर सालाना पास की पेशकश की जा रही है। पहले फास्टैग के लिए लोगों को मजबूर किया गया, और अब सालाना पास का विचार सामने आया है। लेकिन क्या इससे वास्तव में लोगों को राहत मिलेगी?
सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि सरकार कितनी बार वाहन मालिकों से टैक्स वसूलना चाहती है? सरकार के टैक्स के कारण गाड़ियों की कीमतें बढ़ गई हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप 10 लाख रुपये की कार खरीदते हैं, तो उसमें लगभग तीन लाख रुपये का टैक्स शामिल होता है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन और रोड टैक्स भी लिया जाता है। फिर पेट्रोल और डीजल पर 40 प्रतिशत से अधिक टैक्स और प्रति लीटर रोड इंफ्रास्ट्रक्चर सेस भी जोड़ा जाता है। इसके बाद टोल टैक्स लिया जाता है। यह दिलचस्प है कि इतनी टैक्स वसूली के बाद सरकार कहती है कि आपके आयकर से सड़कें बनाई जाती हैं।