×

भारत में हृदय रोगों का बढ़ता खतरा: जानें कारण और उपाय

भारत में हृदय रोगों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें हर तीसरी मौत का कारण कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां हैं। यह रिपोर्ट हमें हमारे बदलते जीवनशैली के प्रभावों के बारे में जागरूक करती है। जानें कैसे खानपान, तनाव और शारीरिक गतिविधियों का ध्यान रखकर हम अपने दिल की सेहत को बेहतर बना सकते हैं।
 

भारत में हृदय रोगों का बढ़ता खतरा

हाल ही में एक नई रिपोर्ट ने भारत में मौतों के कारणों की तस्वीर को बदलकर रख दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, हर 100 मौतों में से 31 का कारण कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां (CVDs) हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि हर तीसरी मौत का संबंध हृदय से जुड़ी समस्याओं से है।


कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां दिल और रक्त वाहिकाओं से संबंधित होती हैं। इनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर जैसी गंभीर समस्याएं शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि अब ये बीमारियां केवल बुजुर्गों में ही नहीं, बल्कि 30 और 40 साल के युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही हैं।


रिपोर्ट के अनुसार, हमारे बदलते जीवनशैली के कारण दिल की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। गलत खानपान, जैसे तला-भुना और पैकेट वाला खाना, तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी, ये सभी कारक हमारे दिल को कमजोर बना रहे हैं। धूम्रपान और शराब का सेवन भी हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।


इस समस्या से निपटने के लिए हमें अपने खानपान में बदलाव लाना होगा। फल, हरी सब्जियां, दालें और सलाद को अपने आहार में शामिल करें। रोजाना 30 मिनट की तेज चाल चलना भी दिल के लिए फायदेमंद हो सकता है। तनाव को कम करने के लिए योग, मेडिटेशन और संगीत सुनना सहायक हो सकता है।


30 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराना न भूलें। याद रखें, आपका दिल आपके शरीर का सबसे मेहनती अंग है, और इसकी सेहत का ध्यान रखना आपकी जिम्मेदारी है।