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भारत में हृदय रोगों की बढ़ती समस्या: जानें कारण और बचाव के उपाय

भारत में हृदय रोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और तनावपूर्ण जीवनशैली इसके मुख्य कारण हैं। इस लेख में जानें कि दिल के दौरे के मामले क्यों बढ़ रहे हैं, इसके पीछे के कारण क्या हैं, और कैसे आप अपने हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप इस खतरे को कम कर सकते हैं।
 

हृदय स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा


भारत में हृदय संबंधी बीमारियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और तनावपूर्ण जीवनशैली ने लोगों के हृदय स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि लोग अपने खान-पान और जीवनशैली पर ध्यान नहीं देंगे, तो भविष्य में दिल के दौरे की घटनाएँ और बढ़ सकती हैं। इस खतरे से बचने के लिए शरीर के संकेतों को समय पर पहचानना और नियमित स्वास्थ्य जांच कराना आवश्यक है।


दिल के दौरे के मामले बढ़ने के कारण

भारत में हृदय रोग अब मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन चुका है। 2014 से 2019 के बीच, दिल के दौरे के मामलों में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शहरीकरण, जीवनशैली में बदलाव, खराब खान-पान की आदतें, तनाव, धूम्रपान और मधुमेह जैसी बीमारियाँ इसके मुख्य कारण माने जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था, पारिवारिक स्थिरता और कार्य जीवन को भी प्रभावित कर रही है।


दिल के दौरे का कारण क्या है?

दिल का दौरा तब होता है जब हृदय में रक्त का प्रवाह किसी थक्के या रुकावट के कारण रुक जाता है। इससे हृदय की मांसपेशियों तक ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती, जिससे कोशिकाएँ जल्दी मर जाती हैं। यदि तुरंत उपचार नहीं किया गया, तो यह जानलेवा हो सकता है। विजयवाड़ा के श्रीमाथा हार्ट क्लिनिक के हृदय रोग विशेषज्ञ टी. सुमन कुमार के अनुसार, "अधिकतर दिल के दौरे, स्ट्रोक और दिल की विफलता अचानक नहीं होतीं; इनके जोखिम कारक पहले से ही हमारे शरीर में मौजूद होते हैं, जैसे उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, मोटापा और धूम्रपान।"


शरीर में छिपे जोखिम कारक

डॉक्टरों के अनुसार, अधिकांश लोगों को पहला दिल का दौरा अचानक नहीं पड़ता; यह कुछ छिपे हुए जोखिम कारकों के कारण होता है, जैसे:


उच्च रक्तचाप - लंबे समय तक बढ़ा हुआ रक्तचाप धमनियों की दीवारों को नुकसान पहुँचाता है।


कोलेस्ट्रॉल - रक्त में बढ़ा हुआ एलडीएल कोलेस्ट्रॉल धमनियों में वसा जमा कर देता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है।


रक्त शर्करा या मधुमेह - उच्च रक्त शर्करा रक्त कोशिकाओं को कमजोर कर देता है और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा देता है।


धूम्रपान - तंबाकू हृदय और धमनियों दोनों को नुकसान पहुँचाता है।


इन सभी कारकों का प्रभाव धीरे-धीरे होता है, लेकिन लक्षण तब स्पष्ट होते हैं जब जोखिम पहले से ही अधिक हो। इसलिए, नियमित जांच कराना आवश्यक है।


दिल के दौरे के जोखिम को कम करने के उपाय

सुखद समाचार यह है कि इनमें से अधिकांश जोखिमों को नियंत्रित किया जा सकता है। एक स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और चिकित्सा जांच से दिल के दौरे का खतरा काफी कम किया जा सकता है। इसके लिए अपने आहार में कुछ बदलाव करने होंगे, जैसे फल, हरी सब्जियाँ, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा को शामिल करना। इसके अलावा, रोजाना कम से कम 30 मिनट की सैर या योग करना चाहिए। जब भी संभव हो, धूम्रपान छोड़ दें। तंबाकू का सेवन तुरंत छोड़ने से हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। अधिकांश स्ट्रोक और दिल के दौरे इसलिए होते हैं क्योंकि लोग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते। समय पर निदान होने से, डॉक्टर शुरुआती चरण में ही इलाज शुरू कर सकते हैं। विशेष रूप से 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों या जिनके परिवार में हृदय रोग का इतिहास रहा है, उन्हें नियमित जांच करवानी चाहिए।