भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका में वीजा नीतियों का संकट
अमेरिका में भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या
पिछले वर्ष, भारत अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए सबसे अधिक छात्रों को भेजने वाला देश बना, जहां 3.3 लाख से अधिक भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन की नई वीजा नीतियों और रिपब्लिकन सीनेटर की मांगों ने इन छात्रों की चिंताओं को बढ़ा दिया है।
OPT प्रोग्राम पर खतरा
विशेष रूप से ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) प्रोग्राम पर संकट आ गया है, जो छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 12 से 36 महीने तक काम करने की अनुमति देता है।
सीनेटर चक ग्रासली की मांग
सीनेटर की सख्त मांग
सीनेटर चक ग्रासली ने डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) से कहा है कि छात्र वीजा धारकों को वर्क परमिट देना कानून का उल्लंघन है और इससे अमेरिकी नागरिकों के रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने इस नीति को तुरंत समाप्त करने की मांग की है।
H-1B वीजा फीस में वृद्धि
H-1B फीस और नए नियम
यह मांग ऐसे समय में आई है जब ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा फीस को 100,000 डॉलर तक बढ़ा दिया है। यह शुल्क केवल नए आवेदकों पर लागू होगा, जबकि पहले से काम कर रहे लोगों को राहत मिलेगी। व्हाइट हाउस का कहना है कि यह कदम सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका में केवल अत्यधिक कुशल विदेशी कामगार ही आएं।
भारतीय छात्रों पर प्रभाव
भारतीय छात्रों पर सीधा असर
अमेरिका में अध्ययन करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या सबसे अधिक है। 2024 में 3.3 लाख से अधिक भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे, जिनमें से लगभग दो लाख ग्रेजुएट स्तर के हैं। नए प्रतिबंधों के कारण छात्रों में असमंजस की स्थिति है। रिपोर्टों के अनुसार, 2025 की फॉल सेशन में नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों का दाखिला लगभग 50% तक घट सकता है।
अमेरिकन ड्रीम पर खतरा
'अमेरिकन ड्रीम' पर खतरा
भारतीय छात्र लंबे समय से अमेरिका को उच्च शिक्षा और करियर के लिए सबसे बड़ा गंतव्य मानते रहे हैं। 2023 में लगभग 4.65 लाख भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई के लिए गए, जिनमें से अधिकांश ने अमेरिका को चुना। लेकिन सख्त होती वीजा नीतियों और OPT प्रोग्राम पर रोक जैसे कदम छात्रों को अमेरिका जाने से हतोत्साहित कर सकते हैं। अब वे कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं।