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भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में जमा और ऋण की गति में बदलाव

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में जमा राशि की वृद्धि ऋण वितरण की तुलना में अधिक हो गई है। यह बदलाव पिछले समय की तुलना में महत्वपूर्ण है, जब ऋण की मांग तेजी से बढ़ रही थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि बड़ी कंपनियों की ओर से ऋण की मांग में कमी आई है और व्यक्तिगत ऋण की गति भी धीमी हुई है। इसके साथ ही, बैंकों में जमा धन में भी वृद्धि हुई है, लेकिन यह पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी कम है। जानें इस रिपोर्ट के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
 

बैंकिंग क्षेत्र में नई रिपोर्ट

भारतीय बैंकिंग क्षेत्र से एक नई जानकारी सामने आई है। 22 अगस्त, 2025 को समाप्त हुए पखवाड़े में, बैंकों में जमा राशि की वृद्धि ऋण वितरण की तुलना में थोड़ी अधिक रही। केयरएज (CareEdge) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि पहले लोन की मांग जमा से कहीं अधिक तेजी से बढ़ रही थी।


क्यों घटा लोन का वितरण? रिपोर्ट के अनुसार, 22 अगस्त तक बैंकों द्वारा दिया गया कुल ऋण (Credit Offtake) 186.4 लाख करोड़ रुपये था। यह पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है, लेकिन पिछले वर्ष की 14.9% की वृद्धि से काफी कम है।


लोन की मांग में कमी के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं: बड़ी कंपनियों द्वारा ऋण की मांग में कमी आई है, कंपनियां नए निवेश और फैक्ट्रियों की स्थापना से बच रही हैं, और व्यक्तिगत ऋण (Unsecured Personal Lending) की गति भी धीमी हुई है। इसके अलावा, बैंक अब एनबीएफसी को ऋण देने में अधिक सतर्कता बरत रहे हैं।


डिपॉजिट की स्थिति कैसी है? दूसरी ओर, बैंकों में जमा धन (Deposits) पिछले वर्ष की तुलना में 10.2% बढ़कर 235 लाख करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि, यह वृद्धि पिछले वर्ष की 11.3% की दर से थोड़ी कम है। इसका मुख्य कारण यह है कि अब लोगों के पास बैंक एफडी के अलावा म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार जैसे अन्य निवेश विकल्प भी उपलब्ध हैं।


बैंकों का क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात (यानी जमा के मुकाबले कितना ऋण वितरित किया गया है) 79.3% पर स्थिर है, जो प्रणाली में पर्याप्त नकदी (liquidity) का संकेत देता है।


ब्याज दरों में कमी: इस बीच, रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा इस वर्ष ब्याज दरों में की गई तीन कटौतियों का प्रभाव भी दिखाई देने लगा है। बैंकों के आपसी लेन-देन की दर (WACR) एक वर्ष पहले के 6.59% से घटकर 5.45% पर आ गई है, जो RBI की 5.50% की रेपो दर से भी कम है।