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महिलाओं के लिए 40 के बाद स्वास्थ्य जांच के 3 महत्वपूर्ण टेस्ट

महिलाओं के लिए 40 वर्ष की उम्र एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसमें स्वास्थ्य संबंधी कई बदलाव आते हैं। इस उम्र में हार्मोनल परिवर्तन और गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। नियमित स्वास्थ्य जांच से इन समस्याओं को समय पर नियंत्रित किया जा सकता है। जानें कि 40 के बाद महिलाओं को कौन से 3 महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चेकअप करवाने चाहिए, जैसे ब्लड शुगर, मैमोग्राफी और बोन डेंसिटी टेस्ट। ये चेकअप न केवल स्वास्थ्य को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि गंभीर बीमारियों से भी बचाते हैं।
 

महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच: 40 के बाद इन 3 चेकअप को न करें नजरअंदाज

नई दिल्ली | 40 वर्ष की आयु महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ लाती है। इस उम्र में हार्मोनल परिवर्तन, हड्डियों की कमजोरी और कई गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। मेनोपॉज की प्रक्रिया भी इसी समय शुरू होती है।


हालांकि, यदि आप नियमित रूप से आवश्यक स्वास्थ्य जांच कराती हैं, तो इन समस्याओं को प्रारंभिक चरण में ही नियंत्रित किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि 40 वर्ष की उम्र के बाद हर महिला को कौन से तीन महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चेकअप अवश्य करवाने चाहिए।


ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच


40 वर्ष के बाद महिलाओं में डायबिटीज और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराना अत्यंत आवश्यक है।


यदि इनका संतुलन बिगड़ता है, तो कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। नियमित जांच से आप इन खतरों को समय पर पहचान सकते हैं और उचित कदम उठा सकते हैं। यह टेस्ट आपकी सेहत को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


मैमोग्राफी


40 वर्ष के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। यदि इस बीमारी का प्रारंभिक चरण में पता नहीं चलता, तो यह जानलेवा हो सकता है।


मैमोग्राफी एक विशेष एक्स-रे तकनीक है, जो स्तन में किसी गांठ या असामान्य कोशिकाओं का पता लगाने में मदद करती है। 40 वर्ष की उम्र के बाद हर 1-2 वर्ष में मैमोग्राफी कराना आवश्यक है, ताकि किसी भी खतरे को समय पर पकड़ा जा सके।


बोन डेंसिटी टेस्ट


40 के बाद महिलाओं में विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी आम हो जाती है। इस उम्र में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम होने से हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। बोन डेंसिटी टेस्ट हड्डियों की मजबूती को जांचने में मदद करता है। इस टेस्ट को नियमित रूप से करवाने से हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को समय पर रोका जा सकता है।