महिलाओं में कैल्शियम की कमी: कारण और समाधान
महिलाओं में कैल्शियम की कमी का कारण
कैल्शियम हमारे शरीर और मांसपेशियों के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। यह हमारी समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, लेकिन भारत में महिलाओं में इसकी कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। कैल्शियम और विटामिन बी-12 जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी स्वास्थ्य संकट का कारण बन रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं में कैल्शियम की कमी बचपन से ही शुरू होती है, लेकिन इसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है।
विशेषज्ञों की राय
रांची के एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और न्यूरो सर्जन, डॉक्टर विकास के अनुसार, कैल्शियम एक आवश्यक तत्व है जो हमारे शरीर को स्थिरता और कार्यक्षमता प्रदान करता है। यदि महिलाओं में इसकी कमी होती है, तो उन्हें हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही गर्भावस्था में भी समस्याएं आ सकती हैं। इसलिए, नियमित रूप से इसकी जांच कराना महत्वपूर्ण है।
कब होती है कमी?
विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाओं में कैल्शियम की कमी बचपन से ही शुरू हो जाती है, जिससे बड़े होने पर अधिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। कभी-कभी, कैल्शियम की कमी के कारण विटामिन-डी की कमी भी हो जाती है। यह समस्या बढ़ रही है क्योंकि नई पीढ़ी के बच्चे धूप से बचते हैं, जबकि धूप विटामिन-डी का एक प्रमुख स्रोत है। कई बच्चे या लड़कियां आउटडोर खेलों में रुचि नहीं दिखाते हैं, जो इस बात का संकेत है कि उनके शरीर में किसी तत्व की कमी हो रही है।
गांव की महिलाओं की स्थिति
डॉक्टर बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं मेहनत भरे कार्य करती हैं और अक्सर धूप में रहती हैं, फिर भी यहां कैल्शियम की कमी से प्रभावित महिलाओं की संख्या अधिक है। इसका मुख्य कारण यह है कि उन्हें अपने आहार से पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिल पाता। इस प्रकार, कैल्शियम की कमी में आहार का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
कैल्शियम की कमी के लक्षण
- हड्डियों और मांसपेशियों में लगातार दर्द रहना।
- आसानी से हड्डियों में चोट लगना या मांसपेशियों में खिंचाव आना।
- दांतों और मसूड़ों में दर्द, खून आना या टूटना।
- बालों का झड़ना।
- हाथों और पैरों में झुनझुनी होना।
सही आहार से समस्या का समाधान
नोएडा की न्यूट्रिशनिस्ट दिब्या प्रकाश के अनुसार, 19 साल की लड़कियों को 19 साल के लड़कों की तुलना में अधिक कैल्शियम की आवश्यकता होती है। इसे संतुलित रखने के लिए, पहले एक सही आहार लेना चाहिए और फिर आयुर्वेदिक उपायों का सहारा लेना चाहिए। अपने आहार में रोजाना डेयरी उत्पाद, सैलरी के पत्ते, अंजीर, ब्रोकोली, सहजन की फलियां, साग, रागी का आटा और नट्स शामिल करें।