महिलाओं में पेरिमेनोपॉज के दौरान क्रेविंग्स को कैसे प्रबंधित करें
महिलाओं में पेरिमेनोपॉज के दौरान हार्मोनल बदलावों के कारण कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे ये परिवर्तन क्रेविंग्स को प्रभावित करते हैं और उन्हें कैसे नियंत्रित किया जा सकता है। सही आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन के उपायों के माध्यम से महिलाएं इस चरण को बेहतर तरीके से संभाल सकती हैं।
Sep 22, 2025, 12:20 IST
महिलाओं में उम्र के साथ होने वाले बदलाव
जैसे-जैसे महिलाएं 40 की उम्र के करीब पहुंचती हैं, उनके शरीर में कई परिवर्तन होने लगते हैं। इस उम्र में महिलाएं मेनोपॉज की ओर बढ़ने लगती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, महिलाओं में मेनोपॉज की उम्र 45 से 55 वर्ष के बीच होती है। मेनोपॉज से पहले के चरण को पेरिमेनोपॉज कहा जाता है, जो कई बार 4 से 8 साल तक चल सकता है। इस दौरान हार्मोनल परिवर्तन तेजी से होते हैं, जिससे चिड़चिड़ापन, वजाइना में सूखापन, थकान, हॉट फ्लैशेस और नींद में कठिनाई जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
पेरिमेनोपॉज में क्रेविंग्स के कारण
कई महिलाओं को इस चरण में अत्यधिक खाने की इच्छा होती है, खासकर एक ही चीज को बार-बार खाने की। इस लेख में हम जानेंगे कि ये लक्षण क्यों होते हैं और इन्हें कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।
क्रेविंग्स का कारण
हार्मोनल असंतुलन
पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर लगातार बदलता रहता है। जब एस्ट्रोजन की कमी होती है, तो सेरोटोनिन का स्तर भी गिरता है, जिससे मीठा खाने की इच्छा और मूड स्विंग्स होते हैं।
स्ट्रेस
इस समय महिलाओं में चिंता, चिड़चिड़ापन और अवसाद की समस्या बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए वे मिठाई, चॉकलेट या तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन करना पसंद करती हैं, जो उन्हें आराम देते हैं।
नींद की कमी
पेरिमेनोपॉज में नींद न आना और हॉट फ्लैशेज होना सामान्य है। जब नींद पूरी नहीं होती, तो घ्रलिन हार्मोन बढ़ता है, जो भूख को बढ़ाता है, जबकि लेप्टिन हार्मोन कम होता है, जो पेट भरे होने का संकेत देता है।
ऊर्जा की कमी
इस चरण में महिलाओं का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे उन्हें ऊर्जा की कमी महसूस होती है। इस स्थिति में वे कार्बोहाइड्रेट और शुगर की तलब महसूस करती हैं।
मेनोपॉज के प्रारंभिक संकेत
मूड स्विंग्स
नींद की समस्या
थकान और ध्यान की कमी
पीरियड्स का अनियमित होना
हॉट फ्लैशेज और रात में पसीना आना
क्रेविंग्स को नियंत्रित करने के उपाय
स्वस्थ आहार
महिलाओं को अपनी डाइट में फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स शामिल करने चाहिए। फल, सब्जियां, दालें, नट्स, साबुत अनाज और बीज शामिल करें, जिससे पेट भरा रहता है और क्रेविंग्स कम होती हैं।
मीठा और जंक फूड
महिलाएं आमतौर पर जंक फूड और मीठा खाना कम करने की कोशिश करती हैं, लेकिन इसे धीरे-धीरे कम करना चाहिए। हेल्दी स्नैक्स जैसे गुड़, डार्क चॉकलेट, खजूर या भुने चने का सेवन करें।
नियमित व्यायाम
महिलाओं को इस समय नियमित व्यायाम करना चाहिए, जिससे सेरोटोनिन और एंडोर्फिन हार्मोन बढ़ते हैं और मूड बेहतर होता है।
स्ट्रेस कम करें
स्ट्रेस को कम करने के लिए मेडिटेशन, योग और गहरी सांस लेने की तकनीक अपनाएं।
अच्छी नींद
महिलाओं को अपनी नींद का ध्यान रखना चाहिए। पर्याप्त नींद हार्मोन को संतुलित रखने में मदद करती है।
पर्याप्त पानी पिएं
कभी-कभी महिलाएं प्यास को भूख समझ लेती हैं। इसलिए पर्याप्त पानी पीना आवश्यक है, जिससे क्रेविंग्स कम होती हैं।
डॉक्टर से सलाह लें
लाइफस्टाइल में बदलाव के लिए डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि सही जानकारी मिल सके और क्रेविंग्स के साथ वजन भी कम किया जा सके।