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महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हृदय रोग का खतरा: जानें कारण और बचाव के उपाय

महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हृदय रोग का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में गिरावट के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, सही जीवनशैली और नियमित चिकित्सा देखरेख से इस खतरे को कम किया जा सकता है। जानें इसके कारण और बचाव के उपाय इस लेख में।
 

महिलाओं में हृदय रोग का बढ़ता खतरा

आमतौर पर यह धारणा है कि महिलाओं को दिल का दौरा पुरुषों की तुलना में कम होता है, खासकर एक निश्चित उम्र तक। लेकिन जब महिलाएं मेनोपॉज के चरण में प्रवेश करती हैं, तो उनके हृदय रोगों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है। एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने इस स्थिति के पीछे के कारणों और इससे बचने के उपायों के बारे में जानकारी दी है।


विशेषज्ञ के अनुसार, मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हृदय रोगों का खतरा बढ़ने का मुख्य कारण शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर गिरना है। एस्ट्रोजन महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर हृदय के लिए। यह रक्त वाहिकाओं को लचीला बनाए रखने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने और रक्तचाप को सामान्य रखने में मदद करता है।


मेनोपॉज के बाद जब एस्ट्रोजन का उत्पादन कम होता है, तो इसके सुरक्षात्मक प्रभाव भी घट जाते हैं। इससे हृदय और रक्त वाहिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कोलेस्ट्रॉल का स्तर बिगड़ने लगता है, रक्तचाप बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है, और रक्त वाहिकाएं कठोर होने लगती हैं। ये सभी कारक मिलकर हृदय रोग और दिल के दौरे की संभावना को बढ़ाते हैं।


मेनोपॉज के आसपास महिलाओं में अक्सर वजन बढ़ता है, खासकर पेट के आसपास चर्बी जमा होने लगती है, जो हृदय रोगों का एक बड़ा जोखिम कारक है। उम्र के साथ-साथ डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं, जो इस खतरे को और बढ़ा देती हैं। यदि परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो, तो जोखिम और भी बढ़ जाता है।


कैसे करें बचाव? अच्छी खबर यह है कि महिलाएं इस बढ़ते खतरे को कम करने के लिए कई उपाय कर सकती हैं। विशेषज्ञ ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं: मेनोपॉज के बाद महिलाओं के लिए अपने हृदय स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना और सक्रिय कदम उठाना आवश्यक है। सही जीवनशैली और नियमित चिकित्सा देखरेख से इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।