मोरनी किसानों के मालिकाना हक पर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
मोरनी किसानों के मालिकाना हक पर राहत
हरियाणा के मोरनी हिल्स क्षेत्र में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर आई है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 40,000 किसानों की नौतोड़ जमीन के मालिकाना हक से संबंधित मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है।
हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
याचिकाकर्ता विजय बंसल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने वन संरक्षण और किसानों के हितों के बीच संतुलन बनाने वाला आदेश जारी किया। यह निर्णय न केवल किसानों के लिए आशा की किरण है, बल्कि मोरनी के वन क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।
मोरनी हिल्स के लिए निर्देश
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की मुख्य न्यायधीश की खंडपीठ ने मोरनी किसानों के मालिकाना हक के मामले में महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने वन अधिनिर्णयन अधिकारी (FSO) को सर्वेक्षण और मानचित्र तैयार करने के लिए शीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
आरक्षित वन क्षेत्र की अधिसूचना
हरियाणा सरकार को 31 दिसंबर 2025 तक मोरनी हिल्स को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए FSO को राजस्व और वन अधिकारियों के साथ सहयोग करने के लिए कहा गया है। यह निर्णय किसानों के अधिकारों और वन संरक्षण के बीच संतुलन बनाएगा।
गैर-वन गतिविधियों पर रोक
हाईकोर्ट ने मोरनी हिल्स क्षेत्र में सभी गैर-वन गतिविधियों पर रोक लगा दी है। यह रोक 18 दिसंबर 1987 की अधिसूचना के तहत तब तक लागू रहेगी, जब तक धारा 20 की अधिसूचना जारी नहीं हो जाती। कोर्ट ने हरियाणा के वन सचिव को अनुपालन शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
किसानों की लंबी लड़ाई का परिणाम
मोरनी के 40,000 किसानों की नौतोड़ जमीन के मालिकाना हक की मांग वर्षों पुरानी है। शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल ने 2017 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके वकील ने बताया कि यह फैसला जनहित में है और किसानों को उनका हक दिलाएगा।
नई उम्मीद का संचार
यह फैसला मोरनी के किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है। यह कदम न केवल मालिकाना हक की लड़ाई को मजबूती देगा, बल्कि वन संरक्षण को भी प्राथमिकता देगा।