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यमुनानगर में स्मॉग से बढ़ी प्रदूषण की समस्या

यमुनानगर में प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है, जहां स्मॉग ने दृश्यता को प्रभावित किया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 289 तक पहुंच गया है, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। दमा रोगियों को इस स्थिति से विशेष परेशानी हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, हवा में धूल और धुएं के कणों की बढ़ती मात्रा और मौसम की स्थिति इसके मुख्य कारण हैं। जानें इस समस्या के पीछे के कारण और अस्थमा रोगियों के लिए आवश्यक सावधानियां।
 

यमुनानगर में प्रदूषण का बढ़ता स्तर

यमुनानगर (Yamunanagar Smog Pollution): शहर में प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। पिछले दो दिनों से हवा में मौजूद धूल और धुएं के कणों ने मिलकर स्मॉग का निर्माण कर दिया है, जिससे धूप का प्रभाव भी कम हो गया है।


शहर का वातावरण धुंधला हो गया है और दृश्यता 14 किलोमीटर तक सीमित रह गई है। शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 289 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो कि ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।


स्मॉग से प्रभावित दमा रोगी

Yamunanagar Smog Pollution: दमा रोगी सबसे ज्यादा परेशान


स्मॉग ने विशेष रूप से बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए समस्याएं बढ़ा दी हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि हवा में धूल और धुएं की मात्रा में वृद्धि, कम तापमान, बादल और हवा की कमी इस स्थिति के मुख्य कारण हैं।
जिले का अधिकतम तापमान 24 डिग्री और न्यूनतम 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है, जिसमें 2 डिग्री की गिरावट आई है।


PM 2.5 और PM 10 का खतरा

PM 2.5 और PM 10 ने बढ़ाई चिंता


एक्यूआई के आंकड़े बताते हैं कि शहर की हवा बेहद खराब हो चुकी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, PM 2.5 कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है।


ये कण सांस के साथ शरीर के अंदर गहराई तक पहुंच जाते हैं।


PM 10 कण का व्यास 10 माइक्रोमीटर होता है, और यह भी फेफड़ों के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।


नवंबर में AQI का यह स्तर 2 नवंबर के बाद सबसे अधिक है।


2 नवंबर को AQI 320 था, उसके बाद केवल 6, 11 और 12 नवंबर को हवा में थोड़ी सुधार देखा गया।
19 नवंबर को AQI 250, जबकि 20 नवंबर को 258 दर्ज किया गया।


स्मॉग बनने के कारण

स्मॉग बनने की वजह क्या है?


मौसम विशेषज्ञ डॉ. अजीत कुमार के अनुसार, वातावरण में हमेशा धूल और धुएं के कण होते हैं, लेकिन कुछ गतिविधियों से इनकी मात्रा बढ़ जाती है।
जब वातावरण में नमी अधिक होती है और तापमान कम होता है, तो ये कण नमी के साथ मिलकर भारी हो जाते हैं।
ऐसी स्थिति में ये हवा में ही अटके रहते हैं और स्मॉग का निर्माण करते हैं।


अस्थमा रोगियों के लिए सावधानियां

अस्थमा रोगियों के लिए जरूरी सावधानियां


सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह मौसम अस्थमा रोगियों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है।
इस दौरान सीवियर एक्यूट ब्रोंकाइटिस अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने मरीजों को सलाह दी:


सुबह और शाम 5 से 7 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें।


बाहर जाएं तो कैप या मास्क पहनें।


नियमित रूप से प्राणायाम और सांस वाले व्यायाम करें।


नाक साफ रखें, तली-भुनी चीजों से दूरी बनाएं।


बहुत जरूरी न हो तो बाहर न निकलें।