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युवाओं में अर्थराइटिस: कारण और बचाव के उपाय

आजकल युवाओं में अर्थराइटिस की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जो पहले केवल बुजुर्गों में देखी जाती थी। बदलती जीवनशैली, खानपान की आदतें, और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके मुख्य कारण हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे जंक फूड, तनाव, और गलत रिहैबिलिटेशन युवाओं में इस बीमारी को बढ़ा रहे हैं। साथ ही, हम अर्थराइटिस से बचने के लिए कुछ प्रभावी उपाय भी साझा करेंगे।
 

युवाओं में अर्थराइटिस की बढ़ती समस्या

पहले यह माना जाता था कि घुटनों और जोड़ों की समस्याएं केवल बुजुर्गों को प्रभावित करती हैं। लेकिन अब यह समस्या युवाओं में भी बढ़ती जा रही है। बदलती जीवनशैली और खानपान के कारण 30 से 40 वर्ष के लोगों में अर्थराइटिस की समस्या अधिक देखने को मिल रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि युवा वर्ग में जोड़ों के दर्द और अर्थराइटिस के कारण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।


जीवनशैली में बदलाव

आजकल लोग घंटों तक टीवी या लैपटॉप के सामने बैठे रहते हैं। ऑफिस में लगातार 8-9 घंटे एक ही स्थिति में बैठने वाले व्यक्तियों को अर्थराइटिस का खतरा होता है। इसके अलावा, जो युवा नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते, उन्हें भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी आदतें जोड़ों और मांसपेशियों की लचीलापन को कम कर देती हैं, जिससे जोड़ों में तेजी से डिजनरेशन होता है।


जंक फूड और वजन में वृद्धि

युवाओं के खानपान में काफी बदलाव आया है। ऑफिस में या टीवी देखते हुए बर्गर, चिप्स और पैकेज्ड फूड का सेवन करने से वजन बढ़ता है। उच्च शुगर और कोलेस्ट्रॉल वाली डाइट मोटापे का कारण बनती है, जो जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डालती है और अर्थराइटिस की समस्या को बढ़ाती है।


गलत रिहैबिलिटेशन और खेलों में चोट

यदि खेलकूद या किसी अन्य शारीरिक गतिविधि के दौरान चोट लगने पर उचित उपचार नहीं किया जाता है, तो यह कार्टिलेज और लिगामेंट्स को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे कम उम्र में ही अर्थराइटिस होने की संभावना बढ़ जाती है।


तनाव और नींद की कमी

आजकल के युवा तनाव में रहते हैं और देर रात तक मोबाइल का उपयोग करते हैं, जिससे उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। नींद की कमी से इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है और जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या बढ़ सकती है।


रुमेटॉइड अर्थराइटिस क्या है?

विशेषज्ञों के अनुसार, रुमेटॉइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने जोड़ों के कार्टिलेज को नुकसान पहुंचाता है। इसके कारण जोड़ों में दर्द होता है। इस बीमारी की पहचान के लिए विशेष परीक्षण किए जाते हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह पर कराना चाहिए। इसके नियंत्रण के लिए डॉक्टर दवाएं प्रदान करते हैं।


अर्थराइटिस से बचाव के उपाय

नियमित हल्की एक्सरसाइज जैसे वॉक या योग करें।


अर्थराइटिस का मुख्य कारण मोटापा है, इसलिए वजन को नियंत्रित करना आवश्यक है।


संतुलित आहार लें, जिसमें मौसमी फल और सब्जियां शामिल हों।


खेलकूद में भाग लेने वाले युवाओं को चोट से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। चोट लगने पर तुरंत उपचार कराएं।


यदि सीढ़ियां चढ़ते-उतरते समय घुटनों में दर्द होता है, तो डॉक्टर से परामर्श लें।