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यूक्रेन का 'स्पाइडर वेब' ऑपरेशन: रूस के हवाई ठिकानों पर बड़ा ड्रोन हमला

यूक्रेन ने रविवार को 'स्पाइडर वेब' नामक एक महत्वपूर्ण ड्रोन हमले को अंजाम दिया, जिसमें रूस के सैन्य हवाई ठिकानों पर 34% रणनीतिक क्रूज मिसाइलें नष्ट की गईं। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इस ऑपरेशन की तैयारी में डेढ़ साल का समय बताया। रूस ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया है। इस हमले की तकनीक और रणनीति ने विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है। जानें इस ऑपरेशन की पूरी कहानी और इसके पीछे की रणनीति।
 

यूक्रेन का नया ड्रोन हमला

रविवार को, यूक्रेन ने रूस के सैन्य हवाई ठिकानों पर एक महत्वपूर्ण ड्रोन हमले को अंजाम दिया, जिसमें लगभग 34% रणनीतिक क्रूज मिसाइलों को नष्ट कर दिया गया। इस ऑपरेशन का नाम 'स्पाइडर वेब' रखा गया है। राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के अनुसार, यह यूक्रेन का अब तक का सबसे लंबी दूरी का हमला है।


ऑपरेशन की तैयारी

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि इस सफल ऑपरेशन की योजना बनाने में डेढ़ साल से अधिक का समय लगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस ऑपरेशन का मुख्यालय रूस के एक क्षेत्र में FSB के मुख्यालय के पास स्थित था। रूस के रक्षा मंत्रालय ने भी इस हमले की पुष्टि की और कहा कि देशभर में 5 एयरबेस को निशाना बनाया गया, हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि हमलों को विफल कर दिया गया।


ऑपरेशन 'स्पाइडर वेब' की विशेषताएँ

इस ऑपरेशन में 41 रूसी विमानों को लक्ष्य बनाया गया। यूक्रेन ने दावा किया है कि इस हमले से महत्वपूर्ण क्षति हुई है, लेकिन स्वतंत्र सत्यापन अभी बाकी है। यूक्रेन की SBU सुरक्षा सेवा के अनुसार, समन्वित ड्रोन हमलों ने 34% रणनीतिक बमवर्षकों को नष्ट कर दिया है, जिनकी कुल कीमत 7 बिलियन डॉलर है।


लक्ष्य और प्रतिक्रिया

लक्ष्यों में टीयू-95 और टीयू-22 जैसे रणनीतिक बमवर्षक और ए-50 रडार डिटेक्शन विमान शामिल थे। रूस ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया है और कहा है कि इवानोवो, रियाज़ान और अमूर क्षेत्रों में सभी आतंकवादी हमलों को नाकाम कर दिया गया। विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला इस्तांबुल में होने वाली शांति वार्ता से पहले रूस पर दबाव डालने के लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है।


हमले की तकनीक

ज़ेलेंस्की ने बताया कि इस ऑपरेशन में 117 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जिसमें उतने ही ड्रोन ऑपरेटर भी शामिल थे। यूक्रेन ने रूस में लक्ष्य पर हमला करने के लिए एक नई और जटिल कार्यप्रणाली अपनाई। रिपोर्टों के अनुसार, विस्फोटक ले जा रहे ड्रोनों को लकड़ी के ढांचे के अंदर छिपाकर रूस में लाया गया और फिर उन्हें ट्रकों में लादकर लक्षित हवाई ठिकानों तक पहुँचाया गया।