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योद्धा प्लस बाजरा: 90 दिनों में लाखों का लाभ, किसानों की खुशी

योद्धा प्लस बाजरा भारतीय किसानों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरा है। यह बीज 80-90 दिनों में तैयार होता है और उच्च उपज के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रदान करता है। राजस्थान और हरियाणा के किसान इसकी खेती कर लाभ कमा रहे हैं। जानें इसके विशेषताएँ और किसानों के अनुभव, जो इसे खेती का स्मार्ट विकल्प बनाते हैं।
 

क्रांति लाने वाला योद्धा प्लस बाजरा

कृषि समाचार: योद्धा प्लस बाजरा: 90 दिनों में लाखों का लाभ, किसानों की खुशी! योद्धा प्लस बाजरा भारतीय कृषि में एक नई क्रांति का प्रतीक बन रहा है। यह उन्नत हाइब्रिड बीज शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स द्वारा विकसित किया गया है और इसे 80-90 दिनों में तैयार किया जा सकता है।


इस बीज की विशेषताएँ हैं: उच्च उपज (High Yield), रोग प्रतिरोधक क्षमता (Disease Resistant), और नरम चारे की गुणवत्ता। राजस्थान, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसान इसे खेती का एक स्मार्ट विकल्प मानते हैं। आइए, इस बीज की विशेषताओं और किसानों के अनुभवों पर एक नज़र डालते हैं।


योद्धा प्लस की विशेषताएँ

योद्धा प्लस बाजरा की विशेषताएँ


इस बीज की सबसे बड़ी विशेषता इसका त्वरित विकास है। यह 80-90 दिनों में तैयार हो जाता है, जबकि पुष्पावस्था 55-60 दिनों में आती है। इसके पौधे मजबूत और रोग प्रतिरोधक होते हैं, जिससे डाउनी मिल्ड्यू जैसी बीमारियाँ इसे प्रभावित नहीं करतीं।


इसकी बालियां बेलनाकार और समान होती हैं, और दाने की गुणवत्ता भी उच्च होती है। चारा नरम और मीठा होता है, जिसे पशु पसंद करते हैं। कम सिंचाई की आवश्यकता इसे लागत प्रभावी बनाती है, जिससे किसानों का समय और पैसा दोनों की बचत होती है।


किसानों के अनुभव

किसानों के अनुभव


राजस्थान के धौलपुर के किसान ताराचंद शर्मा ने 14 वर्षों से योद्धा प्लस की खेती की है। उनका कहना है कि प्रति बीघा 12-15 मन (4-5 क्विंटल) उपज मिलती है, और चारे की गुणवत्ता से पशु स्वस्थ रहते हैं, जिससे दवाओं पर खर्च भी कम होता है।


हरियाणा के हिसार के सोनू को प्रति एकड़ 33-35 मन (13-14 क्विंटल) उपज मिलती है। उनका कहना है कि कम सिंचाई और मजबूत बालियां इसे लाभकारी बनाती हैं, और मंडी में इसकी कीमत 2,200-2,700 रुपये प्रति क्विंटल होती है।


क्यों चुनें योद्धा प्लस?

क्यों चुनें योद्धा प्लस?


योद्धा प्लस बाजरा आधुनिक खेती के लिए एक आदर्श विकल्प है। यह उच्च उपज और कम लागत का संतुलन प्रदान करता है। राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।


किसानों को सलाह दी जाती है कि वे शक्ति वर्धक के मूल बीज खरीदें और बुवाई से पहले मिट्टी की जांच करें। समय पर सिंचाई और देखभाल से यह बीज न केवल लाभ देगा, बल्कि पशुपालन को भी बढ़ावा देगा।