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रजनीगंधा फूल की खेती: कम लागत में लाखों की कमाई का सुनहरा अवसर

रजनीगंधा फूल की खेती अब किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन चुकी है। सहारनपुर के रवि सैनी ने पारंपरिक खेती को छोड़कर इस फूल की खेती शुरू की और लाखों की कमाई कर रहे हैं। यह फूल दिल्ली की गाज़ीपुर मंडी में बेचा जाता है, जहां इसकी भारी मांग है। इसकी विशेषता यह है कि यह एक बार लगाने पर तीन साल तक उत्पादन देता है। जानें इस खेती के लाभ, उपयोग और किसानों के लिए प्रेरणादायक कहानी।
 

रजनीगंधा फूल की खेती: किसानों के लिए लाभकारी विकल्प

रजनीगंधा फूल की खेती अब किसानों के लिए एक आकर्षक और लाभकारी विकल्प बन चुकी है। सहारनपुर के रवि सैनी ने पारंपरिक कृषि को छोड़कर फूलों की खेती की ओर रुख किया और अब वे लाखों रुपये कमा रहे हैं। यह फूल दिल्ली की गाज़ीपुर मंडी में बेचा जाता है, जहां इसकी मांग बहुत अधिक है।


उत्पादन की विशेषताएँ

इस फूल की एक विशेषता यह है कि इसे एक बार लगाने के बाद यह तीन साल तक लगातार उत्पादन करता है। इसकी तुड़ाई रोजाना की जाती है और इसकी कीमत ₹20 से ₹1000 प्रति किलो तक होती है। इसकी खुशबू सैंडलवुड से भी बेहतर मानी जाती है, जो दूर से ही लोगों को आकर्षित करती है।


जैविक खेती के लाभ

रवि सैनी ने बताया कि रजनीगंधा फूल की खेती में किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं होती। केवल गोबर खाद से ही यह फूल शानदार उत्पादन देता है। यदि कोई किसान इसे पांच बीघा ज़मीन में लगाए, तो वह रोजाना एक क्विंटल फूल आसानी से प्राप्त कर सकता है।


फूलों की मांग और उपयोग

रजनीगंधा फूल का उपयोग विशेष रूप से महिलाओं के गजरे, घर की सजावट और शादी की वरमाला में किया जाता है। इसकी मांग दिल्ली, नोएडा और आसपास के क्षेत्रों में लगातार बनी रहती है। यही कारण है कि किसान इसे उगाकर सीधे मंडियों में भेजते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते हैं।


किसानों के लिए प्रेरणा

रवि सैनी की कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है जो पारंपरिक खेती में फंसे हुए हैं और बदलाव की तलाश में हैं। रजनीगंधा फूल की खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।