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रबी सीजन में आलू और दाल की खेती के लिए सही उर्वरक का चयन

रबी सीजन में किसानों के लिए सही उर्वरक का चयन करना बेहद महत्वपूर्ण है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, डीएपी, एनपीके और सिंगल सुपर फॉस्फेट का संतुलित उपयोग फसल की गुणवत्ता और पैदावार को बढ़ा सकता है। जानें अलीगढ़ के कृषि अधिकारी धीरेंद्र सिंह चौधरी के सुझाव और कैसे सही उर्वरक का चयन करके किसान कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं।
 

रबी सीजन में आलू और दाल की खेती: किसानों के लिए अच्छी खबर

दिल्ली: रबी सीजन में किसानों के लिए एक सकारात्मक सूचना आई है! यदि आप गेहूं, आलू, दाल या सरसों की खेती कर रहे हैं, तो सही उर्वरकों का उपयोग आपको कम लागत में अधिक पैदावार दिला सकता है।


कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि डीएपी, एनपीके और सिंगल सुपर फॉस्फेट जैसे उर्वरकों का सही और संतुलित उपयोग न केवल फसल की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि लागत को भी कम करता है। इससे किसानों का लाभ कई गुना बढ़ सकता है। आइए जानते हैं कि अलीगढ़ के कृषि अधिकारी धीरेंद्र सिंह चौधरी ने इस विषय में क्या सुझाव दिए हैं।


रबी सीजन में सही उर्वरक का चयन

रबी सीजन में गेहूं, चना, मटर, मसूर और आलू जैसी फसलें प्रमुख होती हैं। धीरेंद्र सिंह चौधरी बताते हैं कि कई किसान डीएपी पर अधिक निर्भर रहते हैं, लेकिन यह हर फसल के लिए उपयुक्त नहीं है।


डीएपी में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है, लेकिन आलू जैसी फसलों के लिए पोटाश की आवश्यकता होती है, जो डीएपी में नहीं पाया जाता। इसके लिए अलग से उर्वरक का उपयोग करना पड़ता है। एनपीके और सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) का उपयोग अधिक लाभकारी हो सकता है।


एनपीके और SSP के लाभ

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, एनपीके उर्वरक में 16% पोटाश होता है, जिससे अलग से पोटाश की आवश्यकता नहीं होती। वहीं, सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) में 16% फॉस्फोरस और 12% सल्फर होता है, जो सरसों जैसी फसलों के लिए आवश्यक है।


SSP बाजार में सस्ता भी है। संतुलित उर्वरकों का उपयोग करने से फसल की वृद्धि में सुधार होता है और गुणवत्ता भी बढ़ती है। इससे किसानों को कम खर्च में अधिक पैदावार और लाभ मिलता है।