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राजस्थान में आवारा कुत्तों की समस्या: हाईकोर्ट का आदेश और चुनौतियाँ

राजस्थान में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का ध्यान आकर्षित किया है। हाल ही में, हाईकोर्ट ने इन कुत्तों को हटाने का आदेश दिया है, लेकिन नगर निगम के सामने 80,000 कुत्तों को संभालने की चुनौती है। दीपक महावर जैसे कई लोग कुत्तों के हमलों का शिकार हो चुके हैं, जिससे रेबीज़ का खतरा भी बढ़ गया है। जानिए इस समस्या के समाधान के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और विशेषज्ञों की राय क्या है।
 

आवारा कुत्तों का बढ़ता आतंक

जयपुर की सड़कों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक, आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है। हाल ही में, राजस्थान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन कुत्तों को हटाने का निर्देश दिया है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि 80,000 कुत्तों का क्या होगा? कुत्तों के हमलों के कई मामले सामने आ रहे हैं। उदाहरण के लिए, दीपक महावर, जो राखी के दिन अपने बच्चों के साथ घर लौट रहे थे, एक आवारा कुत्ते द्वारा काटे गए। इस हमले से उन्हें गंभीर चोटें आईं और अब उन्हें रेबीज़ का डर भी सता रहा है।


नगर निगम की चुनौतियाँ

दीपक महावर ने बताया कि जब वे गाड़ी में थे, तभी कुत्ता उनके पीछे दौड़ा और काट लिया। अब उन्हें अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया है, लेकिन नगर निगम के लिए यह कार्य आसान नहीं है। 80,000 कुत्तों को संभालने के लिए न तो पर्याप्त जगह है, न ही शेल्टर और न ही स्टाफ।


कोर्ट के आदेश का पालन

जयपुर ग्रेटर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर ने कहा कि वे कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे और जल्द ही डॉग शेल्टर के लिए स्थान खोजेंगे। पहले, कुत्तों की नसबंदी कर उन्हें छोड़ दिया जाता था, लेकिन संख्या में कमी नहीं आ रही है।


रेबीज़ विशेषज्ञों की राय

रेबीज़ विशेषज्ञों का कहना है कि लोग अक्सर इलाज अधूरा छोड़ देते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है। बड़ी संख्या में कुत्तों को एक जगह रखना खतरनाक हो सकता है। डॉ. महेश चंद्र वर्मा ने बताया कि कुत्तों के काटने के रोजाना 30 से 40 नए मामले सामने आते हैं। पिछले 5 वर्षों में राजस्थान में डॉग बाइट के 35,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।