रिश्तों की लापरवाहियों से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
रिश्तों में प्यार और समर्थन की कमी महिलाओं की सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। यह लेख उन स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रकाश डालता है, जो पुरुषों की लापरवाहियों के कारण उत्पन्न हो सकती हैं। जानें कैसे थायराइड डिसफंक्शन, पीसीओएस, और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इस जानकारी से आपको अपने रिश्तों में सुधार लाने की प्रेरणा मिलेगी।
Aug 23, 2025, 13:10 IST
रिश्तों में प्यार और सपोर्ट की कमी
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपके रिश्ते में प्यार, अपनापन और समर्थन की कमी है? क्या आपको लगता है कि आपका साथी आपकी छोटी-छोटी जरूरतों को नजरअंदाज कर रहा है? यदि हां, तो हम आपको पुरुषों की कुछ लापरवाहियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अक्सर मामूली लगती हैं। वास्तव में, ये लापरवाहियां महिलाओं की सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं और कई बीमारियों का कारण बन सकती हैं। इस लेख में, हम उन 5 स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में चर्चा करेंगे, जिनका खतरा ऐसे रिश्तों में बढ़ जाता है।
थायराइड डिसफंक्शन
पौष्टिक आहार, अनियमित दिनचर्या और तनाव थायराइड के कार्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण हैं। जब पुरुष अपनी पार्टनर के साथ पर्याप्त समय नहीं बिताते, भावनात्मक समर्थन नहीं देते और घरेलू कार्यों में मदद नहीं करते, तो महिलाओं पर काम और रिश्तों का बोझ बढ़ जाता है। यह तनाव थायराइड ग्रंथि को प्रभावित कर सकता है, जिससे थायराइड हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है। इसके लक्षणों में थकान, बालों का झड़ना, मूड स्विंग्स और वजन में उतार-चढ़ाव शामिल हैं।
पीसीओएस और अनियमित पीरियड्स
महिलाओं में पीसीओएस और अनियमित पीरियड्स की समस्या आम होती जा रही है। इसका एक बड़ा कारण हार्मोनल असंतुलन है, जो तनाव और खराब जीवनशैली से जुड़ा होता है। यदि पुरुष अपनी पार्टनर की जरूरतों को नहीं समझते और उन्हें पर्याप्त आराम या समर्थन नहीं मिलता, तो तनाव बढ़ता है। यह तनाव इंसुलिन रेजिस्टेंस और एण्ड्रोजन के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे पीरियड्स और पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
क्रॉनिक फटीग और फाइब्रोमायल्जिया
लगातार थकान और शरीर में दर्द महिलाओं में सामान्यतः देखे जाते हैं। ये समस्याएं अक्सर शारीरिक और मानसिक तनाव से जुड़ी होती हैं। जब पुरुषों की लापरवाही के कारण महिलाओं को बच्चों, घर और काम का सारा बोझ अकेले उठाना पड़ता है, तो इससे तनाव बढ़ता है। यह तनाव नींद की कमी, मांसपेशियों में दर्द और ऊर्जा की कमी का कारण बन सकता है, जिससे ये बीमारियां विकसित होती हैं।
बिंज ईटिंग और पेट संबंधी समस्याएं
महिलाएं तनाव और अकेलेपन के कारण बिंज ईटिंग का शिकार हो जाती हैं। यह एक कोपिंग मैकेनिज्म बन जाता है, जहां महिलाएं अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए भोजन का सहारा लेती हैं। पुरुषों की अनदेखी या भावनात्मक दूरी महिलाओं में असुरक्षा और अकेलेपन की भावना पैदा कर सकती है, जिससे उनकी खाने की आदतों में बदलाव आता है। इससे मोटापा, पाचन संबंधी समस्याएं, एसिडिटी, कब्ज और आईबीएस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
एंग्जायटी, पैनिक अटैक और हार्मोनल असंतुलन
रिश्तों में समर्थन की कमी और भावनात्मक उपेक्षा के कारण महिलाओं में पैनिक अटैक, एंग्जायटी और गंभीर हार्मोनल असंतुलन हो सकता है। जब महिलाएं अपने साथी से अपेक्षित सहयोग नहीं पाती हैं, तो वे लगातार तनाव में रहती हैं। यह तनाव कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन को बढ़ाता है, जिससे मासिक धर्म चक्र बाधित होता है और मूड स्विंग्स होते हैं। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं को पैनिक अटैक और डिप्रेशन का सामना भी करना पड़ सकता है।