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रूबल की मजबूती: क्या यह उछाल स्थायी है?

रूबल ने 2025 में एक उल्लेखनीय उछाल देखा है, जो कि 40% से अधिक की वृद्धि के साथ दुनिया की सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह मजबूती लंबे समय तक नहीं टिक सकती। इस लेख में, हम रूबल की मजबूती के पीछे के कारणों, निर्यातकों की भूमिका और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे। क्या यह उछाल स्थायी है? जानने के लिए पढ़ें।
 

रूबल की अप्रत्याशित वृद्धि

लंबे समय से चल रहे संघर्ष, तेल की घटती कीमतें, कड़े प्रतिबंध और आर्थिक मंदी के बावजूद, रूस की मुद्रा रूबल ने 2025 में एक उल्लेखनीय उछाल देखा है। बैंक ऑफ अमेरिका के अनुसार, इस वर्ष रूबल दुनिया की सबसे अच्छी प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है, जिसमें 40% से अधिक की वृद्धि हुई है। पिछले दो वर्षों में भारी अवमूल्यन के बाद यह रूबल का एक शानदार पलटाव है।


रूबल की मजबूती के कारण

विश्लेषकों का दृष्टिकोण
विश्लेषकों का मानना है कि रूबल की यह मजबूती विदेशी निवेशकों के अचानक विश्वास से कम, बल्कि पूंजी नियंत्रण और नीतिगत सख्ती से अधिक संबंधित है। वेल्स फार्गो के अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्री ब्रेंडन मैकेना ने तीन मुख्य कारण बताए: "केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों को ऊंचा रखा है, पूंजी नियंत्रण और विदेशी मुद्रा प्रतिबंधों को सख्त किया गया है, और रूस-यूक्रेन के बीच शांति की दिशा में कुछ प्रगति हुई है।" रूस के केंद्रीय बैंक ने 20% की ऊंची ब्याज दरों और सख्त क्रेडिट नीति के माध्यम से मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखा है। रेनेसां कैपिटल के अर्थशास्त्री आंद्रेई मेलाश्चेंको ने कहा, "स्थानीय आयातकों से विदेशी मुद्रा की मांग में कमी आई है, जिसने रूबल को मजबूती प्रदान की है।"


निर्यातकों की भूमिका

निर्यातकों का योगदान
रूस के बड़े निर्यातकों को अपनी विदेशी कमाई का एक हिस्सा देश में लाकर रूबल में बदलना अनिवार्य है। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच प्रमुख निर्यातकों ने 42.5 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा बेची, जो पिछले चार महीनों की तुलना में 6% अधिक है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीव हनके ने कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा आपूर्ति में कमी भी रूबल को समर्थन दे रही है।


क्या यह उछाल टिकाऊ है?

विश्लेषकों की चेतावनी
विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि रूबल की यह मजबूती लंबे समय तक नहीं टिक सकती। मेलाश्चेंको ने कहा, "हम मानते हैं कि रूबल अपने उच्चतम स्तर के करीब है और निकट भविष्य में कमजोर हो सकता है। तेल की कीमतें काफी गिर गई हैं, जिसका असर निर्यात राजस्व पर पड़ेगा।" मैकेना ने भी कहा, "शांति समझौता होने पर पूंजी नियंत्रण हट सकते हैं और केंद्रीय बैंक ब्याज दरें तेजी से घटा सकता है, जिससे रूबल में तेज गिरावट आ सकती है।"