×

विटामिन डी: बच्चों से लेकर वयस्कों तक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक

विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स जैसी हड्डी की समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन इसके अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं। यह मसल्स फाइबर की ग्रोथ को बढ़ावा देता है और डायबिटीज तथा हृदय रोग से सुरक्षा प्रदान करता है। सूर्य की रोशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है, लेकिन भारत में इसकी कमी आम है। सही मात्रा में विटामिन डी का सेवन करने से अस्थमा और अन्य बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है।
 

विटामिन डी की कमी और इसके प्रभाव

हेल्थ कार्नर: विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स जैसी हड्डी की बीमारी हो सकती है, लेकिन इसके अलावा भी यह कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। विटामिन डी के सेवन के कई लाभ हैं।



मसल्स फाइबर की ग्रोथ:
डॉ. जॉन कैनल, जो कि विटामिन डी काउंसिल के संस्थापक हैं, बताते हैं कि गर्मियों में एथलीटों का प्रदर्शन सर्दियों की तुलना में बेहतर होता है। विटामिन डी मसल्स फाइबर की ग्रोथ को बढ़ावा देता है और रक्त में इसके उच्च स्तर से संतुलन और प्रतिक्रिया की समय सीमा में सुधार होता है।


बीमारियों से सुरक्षा:
विज्ञानियों ने पाया है कि विटामिन डी के उच्च स्तर से डायबिटीज और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से सुरक्षा मिल सकती है। एक अध्ययन में, टाइप-2 डायबिटीज के 90 मरीजों पर किए गए शोध में यह पाया गया कि विटामिन डी युक्त योगर्ट का सेवन करने वाले मरीजों में ब्लड शुगर और वजन जल्दी नियंत्रित हुआ।



विटामिन डी के स्रोत:
सूर्य की रोशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है, लेकिन भारत में कुपोषण और सूर्य के प्रकाश की कमी के कारण इसकी कमी हो रही है। विटामिन डी की उचित मात्रा (10 से 20 माइक्रोग्राम) के लिए दही, चीज़, मछली, अंडे, मशरूम और फोर्टीफाइड अनाज का सेवन करना चाहिए।


दर्द से राहत:
एक अध्ययन में यह भी पाया गया है कि विटामिन डी के अच्छे स्तर से धमनियों में कड़ापन कम होता है, जिससे हृदय रोग का खतरा घटता है।



अस्थमा से बचाव:
हालिया रिपोर्टों से पता चला है कि विटामिन डी की कमी से बच्चों में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी से नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए, विटामिन डी का सही सेवन इन खतरों को कम कर सकता है।