वेनेजुएला में भूकंप और भारत के बैरेन आइलैंड का ज्वालामुखी: क्या है खतरा?
वेनेजुएला में भूकंप का झटका
वेनेजुएला भूकंप: बुधवार को वेनेजुएला के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में एक शक्तिशाली भूकंप आया। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण (USGS) ने इसकी तीव्रता 6.2 मापी। भूकंप का केंद्र ज़ुलिया प्रांत के मेने ग्रांडे कस्बे से लगभग 24 किलोमीटर दूर और 7.8 किलोमीटर की गहराई पर था। यह क्षेत्र राजधानी काराकस से लगभग 600 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। सतह के निकट होने के कारण झटके काफी तीव्र थे और कई राज्यों में महसूस किए गए। यहां तक कि पड़ोसी देश कोलंबिया में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
भूकंप के झटके के बाद, स्थानीय निवासियों ने तुरंत अपने घरों, दफ्तरों और दुकानों से बाहर निकलकर खुले स्थानों की ओर भागना शुरू कर दिया। हालांकि, घबराहट के बावजूद, अभी तक किसी बड़े नुकसान या जनहानि की सूचना नहीं मिली है। दोनों देशों की आपदा प्रबंधन एजेंसियां स्थिति पर नजर रख रही हैं।
तेल उद्योग पर प्रभाव
तेल उद्योग को झटका: मेने ग्रांडे झील माराकाइबो के पूर्वी किनारे पर स्थित है, जो वेनेजुएला के तेल उद्योग का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इस देश के पास दुनिया के सबसे बड़े सिद्ध तेल भंडार हैं, इसलिए यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भूकंप के बाद सरकारी टीवी चैनल पर नियमित कार्यक्रम जारी रहे। राष्ट्रपति निकोलस मादुरो एक विज्ञान-आधारित सेगमेंट में दिखाई दिए। हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक आधिकारिक बयान या नुकसान का विस्तृत आकलन नहीं किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भूकंप की तीव्रता और तेल क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए स्थिति की बारीकी से निगरानी आवश्यक है।
भारत में ज्वालामुखी गतिविधि
भारत का सक्रिय ज्वालामुखी: इसी बीच, अंडमान सागर में स्थित बैरेन आइलैंड ज्वालामुखी ने भी गतिविधि दिखाई है। 20 सितंबर को इस निर्जन द्वीप से लावा और धुएं का उत्सर्जन देखा गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना कुछ दिन पहले दर्ज 4.2 तीव्रता के भूकंप से संबंधित हो सकती है। इस सक्रिय ज्वालामुखी के आसपास कोई स्थायी मानव बस्ती नहीं है, लेकिन समुद्री पारिस्थितिकी और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए इसका महत्व बहुत अधिक है।
भूगर्भीय स्थिति की गंभीरता
खतरनाक भूगर्भीय स्थिति: राष्ट्रीय भूकंपीय विज्ञान केंद्र (NCS) के निदेशक ओ. पी. मिश्रा ने बताया कि भूकंप के कारण ज्वालामुखी के नीचे मौजूद मैग्मा चैंबर में हलचल हुई, जिससे 'असमय मैग्मेटिक इरप्शन' हुआ। इसका मतलब है कि भूकंप ने ज्वालामुखी को असामान्य समय पर फटने के लिए प्रेरित किया। बैरेन आइलैंड में इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, विशेषकर 1991, 2004 और 2005 में बड़े विस्फोट दर्ज किए गए थे। यह ज्वालामुखी लगभग 3.2 किलोमीटर व्यास का गोलाकार द्वीप है और इसे भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है।
सावधानी और चेतावनी
हालांकि अभी तक किसी बड़े नुकसान की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। बैरेन आइलैंड उसी बड़े फॉल्ट ज़ोन में स्थित है, जिसने 2004 की विनाशकारी सुनामी को जन्म दिया था। ऐसे में हर गतिविधि भविष्य के संभावित खतरों का संकेत हो सकती है।