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शरीर की तीन प्रकृतियों का संतुलन बनाए रखने के उपाय

हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ की तीन प्रमुख प्रकृतियाँ होती हैं। इनका संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, अन्यथा स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए और किस प्रकार के आहार का सेवन करना चाहिए। साथ ही, योग और प्राकृतिक जूस के सेवन से कैसे स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
 

शरीर की तीन प्रमुख प्रकृतियाँ

हमारे शरीर में तीन मुख्य प्रकृतियाँ होती हैं: वात, पित्त और कफ। जब इनमें से कोई भी असंतुलित हो जाता है, तो यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए, इनका संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। आज हम जानेंगे कि हमें किन सावधानियों का पालन करना चाहिए।


वायु रोग से बचाव

जिन लोगों को हड्डियों, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द होता है, उन्हें खट्टी चीजें जैसे नींबू और दही से दूर रहना चाहिए। ये चीजें वायु रोग को बढ़ा सकती हैं।


जोड़ों के दर्द में सावधानियाँ

जोड़ों के दर्द से पीड़ित व्यक्तियों को फूलगोभी, खीरा, मटर और उड़द की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये दर्द को बढ़ा सकते हैं।


पित्त रोग के लिए आहार

पित्त रोग से ग्रसित व्यक्तियों को गर्म चीजें नहीं खानी चाहिए और खाने के एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। कच्चा भोजन जैसे सलाद का सेवन अधिक करना चाहिए, क्योंकि यह एसिड को कम करता है। पत्तागोभी, खीरा, टमाटर और चुकंदर का सलाद फायदेमंद होता है।


कफ रोग से बचाव

कफ रोग होने पर चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। घी और तेल में बने पराठे और ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। इसके बजाय गर्म पानी का सेवन करें।


स्वास्थ्य के लिए योग और जूस

एलोवेरा और गिलोय का जूस पीने से तीनों प्रकृतियों का संतुलन बना रहता है। नियमित योग और आसन जैसे कपालभाति और अनुलोम विलोम करने से भी स्वास्थ्य में सुधार होता है।