सऊदी अरब में मौत की सजाओं में बेतहाशा वृद्धि: एमनेस्टी इंटरनेशनल की चिंता
सऊदी अरब में फांसी की बढ़ती संख्या
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सऊदी अरब में मौत की सजाओं में हो रही वृद्धि पर गहरी चिंता व्यक्त की है। संगठन के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2024 में सऊदी अरब ने 345 लोगों को फांसी दी, जो पिछले तीन दशकों में सबसे अधिक है। इसके अलावा, 2025 की पहली छमाही में ही 180 फांसी दी जा चुकी हैं, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि यह रिकॉर्ड और भी बढ़ सकता है।
गैर-हिंसात्मक अपराधों के लिए फांसी
एमनेस्टी के अनुसार, जिन व्यक्तियों को फांसी दी गई, उनमें लगभग दो-तिहाई को गैर-हिंसात्मक ड्रग अपराधों का दोषी ठहराया गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकांश आरोपी विदेशी नागरिक थे। जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच 88 लोगों को फांसी दी गई, जिनमें से 52 मामले ड्रग तस्करी और उससे संबंधित अपराधों के थे।
कानूनी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल
एमनेस्टी इंटरनेशनल की प्रतिनिधि कृष्ण्टीन बेकरले ने कहा, “यह एक चिंताजनक संकेत है कि सऊदी अरब की न्याय प्रणाली अंतरराष्ट्रीय मानकों से परे जा रही है।” उन्होंने बताया कि दोषियों को कानूनी सहायता नहीं मिलती, मुकदमे में पारदर्शिता की कमी है, और शरिया आधारित कानूनी ढांचा न्याय सुनिश्चित करने में असफल है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद सख्ती जारी
मानवाधिकार संगठनों जैसे एमनेस्टी, ह्यूमन राइट्स वॉच और रिप्रीव ने सऊदी सरकार पर दबाव डाला है कि वह कम से कम ड्रग मामलों में मौत की सजा पर स्थगन लागू करे और दोषियों को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार दे। हालांकि, सऊदी प्रशासन ने अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है।
आर्थिक सुधारों की छवि पर प्रभाव
जहां सऊदी सरकार विजन 2030 जैसी योजनाओं के तहत आत्मनिर्भरता और निवेश-आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में कदम बढ़ा रही है, वहीं मौत की सजाओं की यह नीति उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा रही है। मानवाधिकार उल्लंघनों के कारण सऊदी अरब की विदेश नीति, निवेश आकर्षण और वैश्विक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।