सर्दियों में सीजनल डिप्रेशन: लक्षण और बचाव के उपाय
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर: सर्दियों में उदासी
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर: नई दिल्ली | क्या आपने कभी महसूस किया है कि जैसे ही सर्दी का मौसम आता है, दिन छोटे और रातें लंबी होने लगती हैं, तो मन में उदासी छा जाती है? थकान, अधिक नींद और चिड़चिड़ापन आम हो जाता है। कई बार हम इसे सामान्य आलस्य या मौसम की थकान समझ लेते हैं,
लेकिन यह सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) का संकेत हो सकता है। आइए जानते हैं कि यह क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
सीजनल डिप्रेशन के कारण
सीजनल डिप्रेशन एक प्रकार का अवसाद है, जो ठंड के मौसम या कम धूप वाले दिनों में अधिक होता है। धूप की कमी से मस्तिष्क में सेरोटोनिन हार्मोन का स्तर घटता है, जो मूड को नियंत्रित करता है।
इसके अलावा, ठंड और अंधेरे में मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है, जिससे नींद में वृद्धि होती है और ऊर्जा में कमी आती है। इससे शरीर की प्राकृतिक घड़ी, जिसे सर्केडियन रिदम कहा जाता है, प्रभावित होती है, और नींद-जागने का पैटर्न बिगड़ जाता है।
किसे है अधिक खतरा?
अनुसंधान से पता चलता है कि पहाड़ी और उत्तरी क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को सीजनल डिप्रेशन का अधिक खतरा होता है, क्योंकि वहां धूप कम मिलती है। विशेष रूप से महिलाएं और 18 से 30 वर्ष के युवा इस समस्या से अधिक प्रभावित होते हैं। 2022 में जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर्स के एक अध्ययन के अनुसार, भारत के शहरी क्षेत्रों में 12 से 15 प्रतिशत लोग हल्के या गंभीर सीजनल डिप्रेशन का अनुभव करते हैं।
लक्षणों की पहचान
यदि आप लगातार थकान, अधिक नींद, बार-बार मूड में बदलाव या छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन महसूस कर रहे हैं, तो यह SAD का संकेत हो सकता है। ऐसे लोग अपने काम में रुचि खो देते हैं, मीठा या कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों की इच्छा बढ़ जाती है, और धीरे-धीरे वे अकेलापन महसूस करने लगते हैं।
बचाव के उपाय
सीजनल डिप्रेशन से निपटने के लिए दवाइयों की आवश्यकता नहीं होती। कुछ छोटे बदलाव बड़े परिणाम ला सकते हैं। रोजाना 20-30 मिनट धूप में बिताएं। विदेशों में लाइट थेरेपी का उपयोग किया जाता है, जो धूप के समान प्रभाव डालती है। संतुलित आहार, ताजे फल-सब्जियां, ओमेगा-3 युक्त भोजन और नियमित व्यायाम मूड को बेहतर बनाते हैं। यदि लक्षण बने रहें, तो मनोचिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
इससे न करें अनदेखा
मौसम का परिवर्तन न केवल बाहरी वातावरण को प्रभावित करता है, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य और भावनाओं पर भी असर डालता है। यदि आप या आपके आस-पास कोई इन लक्षणों का सामना कर रहा है, तो इसे नजरअंदाज न करें। समय पर कदम उठाना इस समस्या से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।
महत्वपूर्ण नोट
डिस्क्लेमर: इस लेख में दिए गए सुझाव केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने या आहार में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।