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सर्दी-जुकाम में एंटीबायोटिक का सेवन: स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एंटीबायोटिक के अनुचित उपयोग पर चिंता जताई है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे इन दवाओं का उपयोग सोच-समझकर करें, क्योंकि इसका बेजा इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। आईसीएमआर की एक स्टडी में भी एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के बढ़ते खतरे की चेतावनी दी गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वायरल संक्रमण में एंटीबायोटिक का सेवन न करें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहते हैं विशेषज्ञ।
 

प्रधानमंत्री मोदी की चेतावनी

नई दिल्ली: अक्सर देखा जाता है कि हल्की खांसी, सर्दी-जुकाम या बदन दर्द होने पर लोग बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से दवा खरीद लेते हैं। यदि आप भी ऐसा करते आ रहे हैं, तो अब सावधान हो जाएं, क्योंकि यह आदत आपकी सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में इस विषय पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया है कि वे एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग सोच-समझकर करें, क्योंकि इनका अनुचित उपयोग भविष्य में चिकित्सा को कठिन बना सकता है।


एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का बढ़ता खतरा

वायरल संक्रमण में दवा का सेवन बढ़ा रहा है 'एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस'


आईसीएमआर की एक हालिया अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि बिना कारण एंटीबायोटिक का सेवन देश में 'एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस' (AMR) के खतरे को तेजी से बढ़ा रहा है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाएं केवल बैक्टीरियल संक्रमण में प्रभावी होती हैं, लेकिन जानकारी की कमी के कारण लोग वायरल बुखार, फ्लू और सामान्य सर्दी-जुकाम में भी इनका धड़ल्ले से सेवन कर रहे हैं। सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर बताते हैं कि जब हम बिना आवश्यकता दवा लेते हैं, तो शरीर में मौजूद बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति अभ्यस्त हो जाते हैं और अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि जब वास्तव में आवश्यकता होती है, तो ये दवाएं मरीज पर असर करना बंद कर देती हैं।


WHO की चेतावनी

साइलेंट पैंडेमिक की स्थिति


दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के डॉ. अजीत कुमार ने इसे गंभीर स्थिति बताते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे 'साइलेंट पैंडेमिक' (मौन महामारी) घोषित किया है। उन्होंने चिंता जताई कि मेडिकल स्टोर पर बिना पर्ची के आसानी से एंटीबायोटिक मिलना इस समस्या को और बढ़ा रहा है। अब सामान्य यूरिन इन्फेक्शन (UTI) से लेकर निमोनिया तक के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी मरीजों पर बेअसर साबित हो रही हैं। डॉ. कुमार का कहना है कि पीएम मोदी द्वारा इस मुद्दे को उठाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि यही स्थिति बनी रही, तो आने वाले वर्षों में सामान्य बीमारियां भी जानलेवा हो सकती हैं।


डॉक्टर की सलाह का पालन करें

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह


स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि निमोनिया, टाइफाइड, यूटीआई और टीबी जैसी गंभीर समस्याओं में ही एंटीबायोटिक की आवश्यकता होती है, वह भी डॉक्टर की सलाह पर। आम लोगों के लिए डॉक्टरों की सलाह है कि वे सर्दी-जुकाम जैसे वायरल संक्रमण में एज़िथ्रोमाइसिन जैसी दवाएं न लें, क्योंकि ये वायरल संक्रमण तीन-चार दिन में खुद ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा, यदि डॉक्टर दवा देते हैं, तो उसका पूरा कोर्स करें। न तो ओवरडोज लें, न डोज कम करें और न ही पुरानी बची हुई दवाओं का पुनः उपयोग करें।