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सीआईएसएफ में महिला नेतृत्व की नई ऊँचाई: चार महिला अधिकारी बनीं आईजी

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने अपने ट्रांसफर नियमों में बदलाव कर महिला अधिकारियों की संख्या में वृद्धि की है। अब आईजी स्तर पर आधे अधिकारी महिलाएं हैं, जो अन्य पैरामिलिट्री फोर्सेज की तुलना में सबसे अधिक हैं। इस लेख में चार प्रमुख महिला अधिकारियों के बारे में जानकारी दी गई है, जिन्होंने इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जानें कैसे सीआईएसएफ महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शा रहा है।
 

सीआईएसएफ में बदलाव और महिला सशक्तिकरण

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने युवाओं को आकर्षित करने के लिए अपने ट्रांसफर नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। यह बदलाव करने वाली सीआईएसएफ पहली पैरामिलिट्री फोर्स बन गई है, जिसके परिणामस्वरूप वॉलंटरी रिटायरमेंट की दर में कमी आई है। इस दिशा में सीआईएसएफ ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है।


सीआईएसएफ में अब आईजी स्तर के आधे अधिकारी महिलाएं हैं, जो एसएसबी, सीआरपीएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी की तुलना में सबसे अधिक हैं। आइए जानते हैं उन चार महिला अधिकारियों के बारे में जिन्हें आईजी का पद मिला है।


1. शांति जयदेव

पूर्वी भारत की कमान संभालने वाली शांति जयदेव को 'ईस्टर्न इंडिया की महारानी' कहा जाता है। अब वे आईजी के पद पर रहकर सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगी।


2. ज्योति सिन्हा

ज्योति सिन्हा, जो IG (DAE और DOS) के रूप में परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभागों की सुरक्षा का कार्य देख रही हैं।


3. प्रतिभा अग्रवाल

प्रतिभा अग्रवाल IG (टेक्नोलॉजी और प्रोविजनिंग) के रूप में सीआईएसएफ मुख्यालय में तकनीकी प्रबंधन का कार्य संभालती हैं।


4. नीलिमा रानी

नीलिमा रानी IG (मध्य क्षेत्र) के रूप में मध्य भारत में सीआईएसएफ की गतिविधियों का संचालन कर रही हैं। उनकी मेहनत और समर्पण ने इस क्षेत्र में सुरक्षा को और मजबूत किया है।


महिला सशक्तिकरण की दिशा में CISF का योगदान

सीआईएसएफ ने यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है कि महानिरीक्षक (IG) के पद पर 50% कैडर अधिकारी महिलाएं हैं। यह संघ के सभी सशस्त्र बलों में सबसे अधिक अनुपात है। ये अधिकारी अब प्रमुख विभागों और फील्ड संरचनाओं का नेतृत्व कर रही हैं, जो महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के प्रति बल की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


महिलाओं के नेतृत्व में आने से, सीआईएसएफ न केवल एक मील का पत्थर साबित हो रहा है, बल्कि यह वर्दीधारी सेवाओं में सही प्रतिनिधित्व और सार्थक भागीदारी की दिशा में एक आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।