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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नए दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस फैसले में मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की नियुक्ति, परीक्षा के दबाव को कम करने के उपाय और गोपनीय रिपोर्टिंग प्रणाली की स्थापना शामिल है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल अंक नहीं, बल्कि एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में सीखने का अवसर होना चाहिए। जानें इस ऐतिहासिक निर्णय के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
 

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। कोर्ट ने इसे "संविधान की विफलता" करार दिया, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस निर्णय के तहत मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित नीतियों, जवाबदेही और सुरक्षा उपायों को अनिवार्य किया गया है.


मिस एक्स का मामला

यह निर्णय 17 वर्षीय NEET उम्मीदवार 'मिस एक्स' की आत्महत्या से संबंधित है, जो जुलाई 2023 में आकाश बायजूस इंस्टीट्यूट, विशाखापट्टनम में मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रही थी। पीड़िता के पिता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने CBI को जांच सौंपते हुए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया।


मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की नियुक्ति

शैक्षणिक संस्थानों में जहां 100 से अधिक छात्र हैं, वहां कम से कम एक प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर (जैसे काउंसलर, साइकोलॉजिस्ट या सोशल वर्कर) की नियुक्ति अनिवार्य होगी। छोटे संस्थानों को बाहरी विशेषज्ञों के साथ रेफरल व्यवस्था स्थापित करनी होगी.


अंक आधारित बैच विभाजन पर रोक

अब स्कूलों और कोचिंग सेंटरों में छात्रों को अंकों के आधार पर अलग-अलग बैचों में बांटना, सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करना या अत्यधिक अकादमिक दबाव डालना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है.


स्टाफ के लिए विशेष प्रशिक्षण

हर शिक्षण संस्था के स्टाफ को साल में कम से कम दो बार मानसिक स्वास्थ्य की प्राथमिक सहायता, चेतावनी संकेतों की पहचान और रेफरल प्रक्रिया की ट्रेनिंग देनी होगी। SC/ST/OBC, EWS, LGBTQ+ और दिव्यांग छात्रों के साथ संवेदनशील व्यवहार पर विशेष प्रशिक्षण भी अनिवार्य किया गया है.


हॉस्टल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार

आवासीय संस्थानों को आत्महत्या रोकने के लिए पंखों में छेड़छाड़ न हो सके ऐसा सिस्टम लगाना होगा और बालकनी-छत की पहुंच सीमित करनी होगी.


गोपनीय रिपोर्टिंग प्रणाली

यौन उत्पीड़न, रैगिंग, जाति, लिंग, धर्म या यौन रुझान पर आधारित भेदभाव की शिकायतों के लिए हर संस्था में गोपनीय रिपोर्टिंग और त्वरित मानसिक सहयोग की व्यवस्था करनी होगी.


परीक्षा के दबाव में कमी

कोर्ट ने कहा कि छात्रों के समग्र विकास के लिए सफलता की परिभाषा को व्यापक किया जाए। स्कूल-कॉलेजों को परीक्षाओं का तनाव कम करने, रुचि-आधारित करियर काउंसलिंग और सांस्कृतिक व खेल गतिविधियों को बढ़ावा देना होगा.


रेगुलेशन के लिए सख्त दिशा-निर्देश

अनुच्छेद 32 और 141 के तहत कोर्ट के ये निर्देश तब तक कानून माने जाएंगे जब तक संसद या राज्य सरकारें इस पर औपचारिक कानून नहीं बना देतीं. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दो माह में कोचिंग संस्थानों के लिए रेगुलेटरी नियम बनाने होंगे.


विशेष शैक्षणिक हब पर ध्यान

कोटा, जयपुर, सीकर, चेन्नई, हैदराबाद, दिल्ली और मुंबई जैसे शैक्षणिक हब में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं बढ़ाने और आत्महत्या रोकने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, "शिक्षा का उद्देश्य केवल रैंक और अंक नहीं हो सकता, बल्कि एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण में सीखने का अवसर मिलना चाहिए."