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सुप्रीम कोर्ट का कांवड़ यात्रा पर होटल मालिकों को लाइसेंस प्रदर्शित करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटल मालिकों को अपने लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदर्शित करने का आदेश दिया है। यह निर्णय शिक्षाविद अपूर्वानंद झा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया गया। कोर्ट ने कहा कि कांवड़ यात्रा का आज अंतिम दिन है, लेकिन निकट भविष्य में यात्रा के समापन की संभावना को देखते हुए यह आदेश पारित किया गया। जानें इस आदेश के पीछे की पूरी कहानी और इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
 

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के मार्ग पर स्थित सभी होटल मालिकों को निर्देश दिया है कि वे अपने लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र को प्रदर्शित करें। यह आदेश शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया।


कांवड़ यात्रा का समापन

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वे होटल या ढाबा मालिकों के नाम और क्यूआर कोड प्रदर्शित करने के मुद्दे पर विचार नहीं कर रहे हैं, क्योंकि आज कांवड़ यात्रा का अंतिम दिन है। पीठ ने कहा कि निकट भविष्य में कांवड़ यात्रा के समाप्त होने की संभावना है, इसलिए सभी संबंधित होटल मालिकों को वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदर्शित करने का आदेश का पालन करना चाहिए।


प्रेस विज्ञप्ति का संदर्भ

अपूर्वानंद झा ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 25 जून को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए कहा कि नए उपायों के तहत कांवड़ मार्ग पर सभी भोजनालयों पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य है। इससे मालिकों के नाम और पहचान का पता चलता है, जो पहले इस कोर्ट द्वारा रोक लगाई गई भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग को पुनः स्थापित करता है।


पिछले साल के निर्देशों पर रोक

यह ध्यान देने योग्य है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकारों द्वारा जारी इसी तरह के निर्देशों पर रोक लगा दी थी, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों, कर्मचारियों और अन्य विवरणों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था।