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सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन जुए पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी पर रोक लगाने की मांग की गई है। यह नोटिस सोशल मीडिया और ई-स्पोर्ट्स गेम्स के माध्यम से संचालित होने वाले प्लेटफार्मों पर केंद्रित है। याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग का अनियंत्रित विस्तार एक राष्ट्रीय संकट का रूप ले चुका है, जो युवाओं को प्रभावित कर रहा है। जानें इस मामले में और क्या कहा गया है और सरकार से क्या अपेक्षाएं की गई हैं।
 

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें जनहित याचिका पर जवाब मांगा गया है। यह नोटिस सोशल मीडिया और ई-स्पोर्ट्स गेम्स के माध्यम से संचालित होने वाले ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी प्लेटफार्मों पर रोक लगाने के लिए निर्देश देने की मांग करता है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस याचिका को ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन एक्ट, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं के साथ संलग्न करने का आदेश दिया है।

सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि याचिका में मांगी गई राहतें ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित नए कानून द्वारा पूरी तरह से कवर की गई हैं, जो अभी लागू नहीं हुआ है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के अनुसार, वर्तमान में लगभग दो हजार सट्टेबाजी और जुए से संबंधित ऐप ऑनलाइन सक्रिय हैं। याचिकाकर्ता ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह युवाओं को प्रभावित करने वाले इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करे और उचित जवाब दाखिल करे। सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (CASC) द्वारा दायर याचिका में ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन के प्रावधानों की स्पष्ट व्याख्या करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि गेमिंग अधिनियम 2025 और राज्य कानूनों के तहत सोशल और ई-स्पोर्ट्स प्लेटफार्मों के रूप में चल रहे ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी के खेलों पर रोक लगाने की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता के वकील विराग गुप्ता ने बताया कि यह याचिका बच्चों को ऐसे ऐप्स से दूर रखने पर केंद्रित है। याचिका में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना और प्रसारण, वित्त और युवा मामले एवं खेल मंत्रालयों से ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 के प्रावधानों की स्पष्ट व्याख्या करने का निर्देश देने की मांग की गई है। इसके तहत सोशल और ई-स्पोर्ट्स गेम्स की आड़ में चल रहे ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी के खेलों पर रोक लगाई जा सके। याचिका में शीर्ष अदालत से सरकार को सट्टेबाजी और जुए के ऐप्स के प्रसार पर रोक लगाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है, जो देश में व्यापक सामाजिक और आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन गेमिंग का अनियंत्रित विस्तार एक राष्ट्रीय संकट का रूप ले चुका है, जो भारत की आधी आबादी को प्रभावित कर रहा है और इससे वित्तीय बर्बादी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ रही हैं।