सोने की कीमतों में ऐतिहासिक उछाल: 1.22 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम
सोने की कीमतों का नया रिकॉर्ड
सोने की कीमतों में ऐतिहासिक वृद्धि: बुधवार को सोने की कीमतों ने एक नया मील का पत्थर पार किया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर वायदा सोने की कीमत 1,22,165 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई, जो कि पहली बार 1.22 लाख रुपये के स्तर को पार कर गई। चांदी की कीमत भी पीछे नहीं रही और यह 1,47,450 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई।
कीमतों में वृद्धि के कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि इस रिकॉर्ड वृद्धि के पीछे कई कारक हैं। अमेरिकी सरकार का शटडाउन अब दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर चुका है, जिसके कारण आर्थिक आंकड़े जारी नहीं हो पा रहे हैं। इससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ी हैं और उन्होंने सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख किया है। इसके अलावा, डॉलर की कमजोरी, जापान और फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता, और वैश्विक तनाव ने भी सोने की मांग को बढ़ावा दिया है।
55 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि
इस वर्ष अब तक घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में 55 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो चुकी है, जो पिछले कई वर्षों में सबसे तेज है। केंद्रीय बैंकों की निरंतर खरीद, गोल्ड ईटीएफ में निवेशकों की रुचि, और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित ब्याज दर में कटौती ने सोने को और अधिक आकर्षक बना दिया है। उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर और दिसंबर में फेड 25-25 बेसिस प्वाइंट की दर में कटौती कर सकता है।
भविष्य में और उछाल की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की कीमतों में और वृद्धि संभव है, हालांकि बीच-बीच में मुनाफावसूली के कारण गिरावट भी देखने को मिल सकती है। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह सलाह दी जाती है कि वे धीरे-धीरे निवेश करते रहें और ऊंचे स्तर पर जल्दबाजी में खरीदारी न करें। वहीं, जिन्होंने साल की शुरुआत में सोना खरीदा था, वे आंशिक मुनाफावसूली कर सकते हैं।
निवेश के लाभ के तरीके
आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, रिकॉर्ड दामों ने भारत के गोल्ड लोन बाजार को भी नई गति दी है। संगठित गोल्ड लोन उद्योग मार्च 2026 तक 15 ट्रिलियन रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पहले के अनुमान से एक साल पहले है। यह मार्च 2027 तक 18 ट्रिलियन रुपये तक भी जा सकता है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सोना हमेशा सुरक्षित निवेश माना जाता है, लेकिन मौजूदा ऊंचे दामों पर निवेश करते समय रणनीति बनाना आवश्यक है। अल्पकालिक निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए, जबकि दीर्घकालिक निवेशक नियमित और अनुशासित तरीके से निवेश कर सकते हैं।