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सोने से बना भारत का अनोखा मंदिर: दीपावली पर विशेष पूजा

20 अक्टूबर को दीपावली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा का आयोजन किया जाएगा। तमिलनाडु के वेल्लोर में स्थित श्रीपुरम महालक्ष्मी मंदिर, जो 15,000 किलोग्राम सोने से बना है, श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर में दीपावली पर भव्य सजावट और पूजा होती है, जिसमें भक्त धन-धान्य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद लेते हैं। जानें इस अद्वितीय मंदिर की विशेषताएँ और रात का नजारा।
 

दीपावली का त्योहार और मां लक्ष्मी का मंदिर

नई दिल्ली: 20 अक्टूबर को पूरे देश में दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ ही कुबेर भगवान की भी आराधना होती है। दक्षिण भारत में एक ऐसा मंदिर है, जो सोने से निर्मित है, और श्रद्धालु दूर-दूर से यहां मां लक्ष्मी के स्वर्ण मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।


श्रीपुरम महालक्ष्मी मंदिर की विशेषताएँ

तमिलनाडु के वेल्लोर नगर के मलाईकोड़ी पहाड़ों पर स्थित श्रीपुरम महालक्ष्मी का मंदिर अद्वितीय है, क्योंकि यह 15,000 किलोग्राम शुद्ध सोने से बना है। इस मंदिर का निर्माण श्री नारायणी पीदम धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा किया गया है, और इसकी ऊपरी परत सोने की चादर से ढकी हुई है। मंदिर का निर्माण 2001 में शुरू हुआ और 2007 में पूरा हुआ। यह एक एकड़ में फैला हुआ है और इसकी वास्तुकला दक्षिण भारतीय संस्कृति को दर्शाती है। मंदिर के भीतर श्रीपुरम आध्यात्मिक पार्क भी है। मंदिर के निर्माण में लगभग 300 करोड़ रुपये का खर्च आया था।


दीवाली पर विशेष पूजा और सजावट

दीवाली के अवसर पर मंदिर में विशेष सजावट और पूजा का आयोजन किया जाता है। मां लक्ष्मी की प्रतिमा सोने से सजाई जाती है, और हर दिन हजारों श्रद्धालु इस भव्य रूप को देखने आते हैं। दीपावली के दिन विशेष पूजा और यज्ञ का आयोजन होता है, जिसमें भक्त धन-धान्य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं।


विशेष सरोवर और रात का नजारा

मंदिर में एक विशेष सरोवर भी बनाया गया है, जिसमें देश की सभी पवित्र नदियों का जल मिलाया गया है। इस जल को मनोकामना पूर्ति जल कहा जाता है। श्रीपुरम महालक्ष्मी मंदिर का रात का दृश्य अद्भुत होता है, जब इसे लाइटों से सजाया जाता है। सोने की चमक और लाइटों की रोशनी मंदिर की सुंदरता को और बढ़ा देती है।


मंदिर की खुलने का समय और दर्शन की प्रक्रिया

यह मंदिर साल भर खुला रहता है, और श्रद्धालु कभी भी दर्शन कर सकते हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि श्रद्धालुओं को परंपरागत परिधान में आना अनिवार्य है। मंदिर में दर्शन की सेवा निशुल्क है, लेकिन मां की विशेष पूजा के लिए पूर्व में बुकिंग करानी होती है।