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हरियाणा में मधुमक्खी पालन योजना: किसानों के लिए नई संभावनाएं

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मधुमक्खी पालन योजना की घोषणा की है, जिसमें शहद को भावांतर भरपाई योजना में शामिल किया जाएगा। यह कदम किसानों की आय बढ़ाने और शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार 2030 तक 15,500 मीट्रिक टन शहद उत्पादन का लक्ष्य रखती है और किसानों को 85% तक सब्सिडी प्रदान कर रही है। युवाओं और महिलाओं को स्टार्टअप के रूप में मधुमक्खी पालन अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
 

मुख्यमंत्री की ऐतिहासिक घोषणा

हरियाणा मधुमक्खी पालन योजना: मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। अब शहद को भी भावांतर भरपाई योजना में शामिल किया जाएगा, जिससे किसानों को बाजार में उचित मूल्य प्राप्त होगा। यह कदम न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगा, बल्कि राज्य में शहद उत्पादन को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।


शहद व्यापार केंद्र का विकास

रामनगर में स्थित शहद व्यापार केंद्र को अब एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां शहद की बिक्री, भंडारण और गुणवत्ता जांच की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके अलावा, 20 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला भी स्थापित की जाएगी। यह केंद्र किसानों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ शहद प्रसंस्करण और बॉटलिंग की सुविधाएं भी प्रदान करेगा।


किसानों की आमदनी में वृद्धि

मधुमक्खी पालन से बढ़ेगी किसानों की आमदनी: कुरुक्षेत्र में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में सीएम सैनी ने बताया कि मधुमक्खी पालन किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी का एक सशक्त माध्यम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वीट क्रांति’ के आह्वान को साकार करने के लिए हरियाणा सरकार तेजी से कार्य कर रही है।


उत्पादन लक्ष्य और सब्सिडी

वर्ष 2030 तक 15,500 मीट्रिक टन शहद उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 7750 मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। सरकार मधुमक्खी के बक्सों, कॉलोनियों और उपकरणों पर 85% तक सब्सिडी प्रदान कर रही है, जिससे किसानों को कम लागत में व्यवसाय शुरू करने का अवसर मिलेगा।


युवाओं और महिलाओं के लिए अवसर

स्टार्टअप का सुनहरा मौका: मुख्यमंत्री ने युवाओं और महिलाओं से अपील की कि वे मधुमक्खी पालन को स्टार्टअप के रूप में अपनाएं और अपना हनी ब्रांड लॉन्च करें। उन्होंने कहा कि इस व्यवसाय में कम जमीन की आवश्यकता होती है और ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिए उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहुंचाया जा सकता है।


सरकार का समर्थन

राज्य सरकार हर कदम पर वित्तीय सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन देने के लिए तैयार है। बागवानी और मधुमक्खी पालन को कृषि विविधीकरण का प्रमुख स्तंभ बनाया गया है। वर्ष 2014 में जहां बागवानी का क्षेत्रफल 1.17 लाख एकड़ था, वहीं अब यह बढ़कर 2.60 लाख एकड़ हो गया है। FPO और उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से किसानों को सशक्त किया जा रहा है।