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हिमाचल प्रदेश में बारिश के बाद सामान्य हो रहे हालात, कांगड़ा में तबाही

हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुई भारी बारिश के बाद स्थिति अब सामान्य होती दिख रही है, लेकिन कांगड़ा जिले में बारिश ने भारी तबाही मचाई है। कई गरीब परिवारों के कच्चे मकान गिर गए हैं और पीड़ितों को सहायता की आवश्यकता है। जानें इस स्थिति के बारे में और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
 

हिमाचल प्रदेश में बारिश के बाद स्थिति में सुधार

मंडी/कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में हाल के दिनों में हुई भारी बारिश के बाद अब हालात सामान्य होते दिख रहे हैं। मंडी में लगातार पांच दिनों तक हुई मूसलधार बारिश के बाद मौसम साफ हो गया है। ब्यास नदी का जलस्तर भी घटने से स्थिति में सुधार आ रहा है।


सूत्रों के अनुसार, पिछले पांच दिनों से भूस्खलन के कारण बंद चंडीगढ़-मनाली हाईवे के खुलने की संभावना बढ़ गई है। मलबा हटाने के लिए मशीनें लगातार काम कर रही हैं। इसके अलावा, झलौगी में फंसे वाहनों को मंडी की ओर भेजा गया है।


मौसम विज्ञान केंद्र ने हिमाचल प्रदेश के लिए यलो अलर्ट जारी किया है, जिससे अगले कुछ दिनों में हल्की बारिश की संभावना जताई गई है।


इस बीच, कांगड़ा जिले के नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में बारिश ने भारी तबाही मचाई है। गेही लगोड पंचायत में कई गरीब परिवारों के कच्चे मकान गिर गए हैं।


पीड़ित राय सिंह ने बताया कि भारी बारिश के कारण उनका मकान गिर गया और सारा सामान मलबे में दब गया है। पटवारी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है, लेकिन अभी तक कोई सहायता नहीं मिली।


एक महिला ने कहा, "मेरा मकान गिर गया है। मैंने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया था, लेकिन कोई ग्रांट नहीं मिली। मैंने 50,000 रुपए का कर्ज लेकर एक छोटा कमरा बनाना शुरू किया है। मैं प्रशासन से मदद की अपील करती हूं।"


भाजपा नूरपुर मंडल अध्यक्ष अनूप राणा ने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें सरकार तथा प्रशासन से सहायता दिलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, "कई परिवारों के मकान और सामान बारिश में बर्बाद हो गए हैं। प्रशासन से अनुरोध है कि इन परिवारों को जल्द राहत प्रदान की जाए।"


पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी में सुप्रीम कोर्ट की हिमालयी क्षेत्रों में बाढ़ और भूस्खलन पर टिप्पणी का स्वागत किया। उन्होंने कहा, "आपदा तो आपदा होती है। मैं सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा, लेकिन यह जरूर कहूंगा कि अगर पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है, तो सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इस बार भारी बारिश के कारण जो तबाही हुई है, वह अलग है।"