हिरोशिमा दिवस: लिटिल बॉय और फैट मैन की कहानी
हिरोशिमा दिवस का महत्व
हिरोशिमा दिवस: 6 अगस्त 1945 को, जब अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराया, तब लिटिल बॉय और फैट मैन जैसे नामों ने इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी। यह दिन मानवता के लिए एक गंभीर चेतावनी बन गया है। इन बमों ने न केवल जापान की किस्मत को प्रभावित किया, बल्कि पूरी दुनिया की सोच को भी बदल दिया। आइए, जानते हैं इन दोनों बमों के बारे में और उनके पीछे की कहानी।
तबाही का प्रतीक
6 और 9 अगस्त 1945, ये दिन मानवता के लिए एक काले अध्याय के रूप में जाने जाते हैं। अमेरिका ने जापान के दो शहरों, हिरोशिमा और नागासाकी पर जो परमाणु बम गिराए, वे थे 'लिटिल बॉय' और 'फैट मैन'। ये बम असल में न्यूक्लियर डिफ्यूजर्स थे, जिनका कोडनेम लिटिल बॉय और फैट मैन रखा गया था। इन हथियारों ने जापान की किस्मत को कई वर्षों के लिए बदल दिया।
लिटिल बॉय का परिचय
लिटिल बॉय वह पहला परमाणु बम था, जिसे हिरोशिमा पर गिराया गया। यह बम 6 अगस्त की सुबह अमेरिका के बी-29 बॉम्बर विमान 'Enola Gay' द्वारा गिराया गया। यह यूरेनियम-235 से बना था और इसका वजन लगभग 4 टन था। इस हमले में लगभग 70,000 लोगों की तत्काल मृत्यु हुई, जबकि हजारों लोग बाद में जलन और कैंसर से प्रभावित हुए। इस हमले ने शहर के 70% हिस्से को नष्ट कर दिया, जिसमें स्कूल, अस्पताल और बाजार शामिल थे।
फैट मैन का प्रभाव
फैट मैन, जो 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर गिराया गया, दूसरा परमाणु बम था। यह प्लूटोनियम-239 पर आधारित था और इसके गिरने से लगभग 40,000 लोगों की मृत्यु हुई। इस हमले ने भी शहर को बुरी तरह प्रभावित किया, हालांकि पहाड़ी इलाकों के कारण तबाही कुछ हद तक सीमित रही। फिर भी, रेडिएशन और आग ने नागासाकी की स्थिति को गंभीर बना दिया।
कोडनेम का अर्थ
लिटिल बॉय और फैट मैन के कोडनेम बमों की डिजाइन पर आधारित थे। लिटिल बॉय लंबा और पतला था, जबकि फैट मैन गोल-मोटा और छोटा था। अमेरिका का उद्देश्य जापान पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालना था ताकि वह बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दे।
जापान का भविष्य
इन परमाणु हमलों ने जापान को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ। 15 अगस्त 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण किया। इसके बाद, जापान ने शिक्षा, तकनीक, शांति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाया और आज वह दुनिया के सबसे उन्नत देशों में से एक है।