धान और गन्ने की फसल में रोगों से बचाव के उपाय
धान की फसल में रोगों की रोकथाम
धान की फसल में जीवाणु अंगमारी का खतरा, हिसार। खेतों में लगातार अधिक पानी जमा रहने से धान की फसल में जीवाणु अंगमारी का खतरा बढ़ जाता है। यह समस्या विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अधिक होती है जहां पेड़ों की छाया होती है, जैसे सड़क के किनारे और नहरों के पास। इसलिए, यह आवश्यक है कि खेतों में पानी जमा न होने दिया जाए। यदि किसी खेत में बीमारी के लक्षण दिखाई दें, तो उस खेत का पानी स्वस्थ खेतों में जाने से रोकें।
धान में जीवाणु अंगमारी से बचाव के तरीके
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि प्रभावित बालियों को कागज की थैली से ढककर उन्हें आधार से काटकर नष्ट कर देना चाहिए। सीधी बिजाई करते समय यह सुनिश्चित करें कि खेत में नमी की कमी न हो और इस माह में नाइट्रोजन खाद का एक तिहाई भाग डालें।
हरियाणा में सफेद और भूरे तेले से बचाव के लिए 330 मिलीलीटर बुप्रोफेजिन ट्रिब्यून 25 एससी को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। आभासी कंडुआ (फाल्स स्मट) बीमारी की रोकथाम के लिए 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 200 लीटर पानी में मिलाकर 50 प्रतिशत बाली निकलने के समय छिड़कें। सिंचाई 5-6 सेंटीमीटर से अधिक गहरी न करें और संभव हो तो हर सप्ताह पानी बदलते रहें।
गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग का प्रबंधन
गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग के लक्षण दिखाई देने पर रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ देना चाहिए। वर्षा के पानी के निकास का उचित प्रबंध करें। यदि गन्ने की बंधाई नहीं की गई है, तो इसे इस माह में पूरा करें। यदि कंडुआ रोग दिखाई दे, तो सावधानी से गन्ने की दुमों पर थैली चढ़ाकर नीचे से काटें और पूरे पौधे को उखाड़कर नष्ट करें। लाल सड़न रोग के प्रभाव से तीसरी पत्ती पीली पड़ने लगती है।