हरियाणा में रात की शिफ्ट के लिए नए नियम: महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता
महिलाओं की सुरक्षा: हरियाणा में रात की शिफ्ट के लिए नए नियम
महिला सुरक्षा आज के समाज की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है। हरियाणा सरकार ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
अब कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में महिलाओं से रात की शिफ्ट में काम करने से पहले उनकी सहमति लेना अनिवार्य होगा। यह निर्णय महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आइए, इन नए नियमों और उनके महत्व को समझते हैं।
रात की शिफ्ट के लिए सहमति और सुरक्षा के नियम
हरियाणा के श्रम विभाग ने रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
अब कोई भी प्रतिष्ठान बिना महिला कर्मचारी की लिखित सहमति के उनसे रात की पाली में काम नहीं करवा सकता। इसके साथ ही, प्रतिष्ठानों को श्रम विभाग को यह सूचित करना होगा कि कितनी महिलाएं रात की शिफ्ट में कार्यरत हैं।
सुरक्षा उपाय और यौन उत्पीड़न रोकथाम
कार्यस्थल पर उचित प्रकाश व्यवस्था और सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य है। यह नियम न केवल कारखाने के अंदर, बल्कि आसपास के क्षेत्रों पर भी लागू होगा, जहां महिला कर्मचारी जा सकती हैं। इन उपायों का उद्देश्य महिलाओं को बिना किसी डर के काम करने का अवसर प्रदान करना है।
महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए 2013 के अधिनियम के तहत हर प्रतिष्ठान को एक समिति का गठन करना होगा। यह समिति शिकायतों का त्वरित समाधान करेगी। इसके अलावा, प्रत्येक कारखाने में कम से कम एक महिला सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति अनिवार्य है।
महिलाओं के लिए परिवहन और चिकित्सा सुविधाएं
महिला कर्मचारियों के लिए परिवहन सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी। इन वाहनों में सीसीटीवी और जीपीएस अनिवार्य हैं, साथ ही प्रशिक्षित ड्राइवर और महिला गार्ड की मौजूदगी जरूरी है। यदि कोई महिला स्वयं कार्यस्थल तक जाना चाहती है, तो वह सहमति देकर परिवहन सुविधा से बाहर निकल सकती है।
इसके अलावा, चिकित्सा सुविधा के लिए डॉक्टर या नर्स की व्यवस्था और आपातकालीन नंबरों का प्रदर्शन भी अनिवार्य है।
समाज के लिए सकारात्मक बदलाव
ये नए नियम महिला सुरक्षा को लेकर हरियाणा सरकार की गंभीरता को दर्शाते हैं। महिलाओं को सशक्त और सुरक्षित बनाने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है। नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं को अब न केवल सुरक्षित माहौल मिलेगा, बल्कि उनकी आवाज को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
समाज को भी इन नियमों का समर्थन करना चाहिए। कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल सरकार, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। यह कदम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके कार्यस्थल पर सम्मान सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। आइए, इस बदलाव का स्वागत करें और एक सुरक्षित समाज का निर्माण करें।