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अहंकार और क्रोध: ओशो के विचारों से जानें कैसे पाएं नियंत्रण

ओशो के विचारों के अनुसार, अहंकार और क्रोध का गहरा संबंध है। यह लेख बताता है कि कैसे अहंकार से उपजा क्रोध हमारे जीवन को प्रभावित करता है और इसे नियंत्रित करने के उपाय क्या हैं। ओशो के अनुसार, क्रोध को दबाने के बजाय उसे समझना और रूपांतरित करना आवश्यक है। जानें कि ध्यान, शारीरिक रचनात्मकता और हास्य का उपयोग करके आप अपने क्रोध पर कैसे काबू पा सकते हैं।
 

अहंकार और क्रोध का जटिल संबंध


कई बार हम अपने आप को इतना महत्वपूर्ण समझने लगते हैं कि हमें लगता है कि हम हमेशा सही हैं। यह सोच धीरे-धीरे हमारे भीतर अहंकार का बीज बो देती है। ओशो के अनुसार, अहंकार जितना खतरनाक है, उससे भी अधिक विनाशकारी है उससे उत्पन्न क्रोध। यह क्रोध न केवल हमारी सोच और व्यवहार को प्रभावित करता है, बल्कि हमारे रिश्तों, करियर और मानसिक शांति को भी नष्ट कर देता है।


क्रोध का स्रोत और उसके प्रभाव

<a href=https://youtube.com/embed/YBUXd5NCp9g?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/YBUXd5NCp9g/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="अहंकार का त्याग कैसे करें | ओशो के विचार | Osho Hindi Speech | अहंकार क्या है और इसे कैसे पराजित करे" width="696">


ओशो के अनुसार, क्रोध अपने आप में कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है, बल्कि यह केवल अहंकार की छाया है। जब हमारा अहंकार आहत होता है, तब हम क्रोधित हो जाते हैं। जब कोई हमारी बात को नकारता है या हमें गलत ठहराता है, तो हमारे भीतर एक ज्वाला भड़क उठती है। ओशो का कहना है कि क्रोध से निपटने से पहले हमें यह समझना आवश्यक है कि इसका स्रोत क्या है।


क्रोध का प्रभाव और नियंत्रण के उपाय

क्रोध का असर केवल दूसरों पर नहीं, बल्कि यह हमें भी भीतर से जलाता है। ओशो एक उदाहरण देते हैं कि क्रोध करना ऐसा है जैसे हम खुद को जहर दे रहे हों। इससे हमारे निर्णय अधूरे और पश्चाताप से भरे होते हैं।


ओशो के अनुसार, क्रोध को दबाने के बजाय हमें इसे समझकर रूपांतरित करना चाहिए। ध्यान का अभ्यास करें, जिससे आप अपने भीतर की स्थिति को समझ सकें। जब आप क्रोधित हों, तो खुद से कहें, "मैं क्रोधित हूं।" इस भाव से देखें और धीरे-धीरे आप पाएंगे कि वह ऊर्जा आपके भीतर से गुजर रही है।


इसके अलावा, शारीरिक रचनात्मकता का सहारा लें। ओशो ने कहा है कि अगर क्रोध गहरा है, तो आप अकेले में चिल्ला सकते हैं या दौड़ सकते हैं। हास्य और स्वीकार का भाव रखें, जिससे जीवन को हल्के में लेना संभव हो सके।


अंत में, मूल कारणों की पहचान करें। क्या आपका क्रोध वास्तव में दूसरों की गलती पर है या यह आपके भीतर के असुरक्षा भाव से उपजा है? जब आप गहराई में जाकर कारण को समझते हैं, तो क्रोध स्वत: ही गायब हो जाता है।


क्रोध पर काबू पाना

ओशो का मानना है कि जो व्यक्ति अपने क्रोध को समझता है, उसने जीवन को समझ लिया है। क्रोध वह स्थान है जहां व्यक्ति केवल प्रतिक्रिया करता है। जब आप प्रतिक्रियाओं से हटकर एक शांत अवस्था में पहुंचते हैं, तो यही क्षण आपकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत बन जाता है।


अहंकार के बीज को पहचानकर जब आप उसे पानी देना बंद कर देते हैं, तो क्रोध का वृक्ष भी सूख जाता है। ओशो का संदेश है कि भीतर उतरें, खुद को जानें और तब आप पाएंगे कि क्रोध का कोई अस्तित्व नहीं है।