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करवा चौथ 2025: व्रत तोड़ने का सही समय और पूजा विधि

करवा चौथ 2025 का पर्व 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जो सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रमा के दर्शन के बाद समाप्त होता है। जानें इस दिन व्रत तोड़ने का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि। पूजा के दौरान देवी-देवताओं की स्थापना, प्रसाद का महत्व और व्रत तोड़ने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
 

करवा चौथ का महत्व


करवा चौथ के अवसर पर महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं, जो सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रमा के दर्शन के बाद समाप्त होता है। इस साल, करवा चौथ 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इस दिन व्रत तोड़ने का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि।


व्रत तोड़ने का शुभ मुहूर्त

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/vyERGjlPD68?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/vyERGjlPD68/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="सुपरफ़ास्ट करवा चौथ व्रत कथा | करवा चौथ व्रत | करवा चौथ 2024 | Karwa Chauth 2024 | 20 October 2024" width="695">


इस दिन चंद्रमा सुबह लगभग 8:10 बजे उगता है, इसलिए व्रत तोड़ने का सही समय चंद्रमा के उदय के बाद होता है। हालांकि, विभिन्न क्षेत्रों में चंद्रमा के उगने का समय भिन्न हो सकता है।


व्रत तोड़ने की विधि

करवा चौथ की पूजा मुख्यतः शाम को सूर्यास्त के बाद की जाती है। पूजा के लिए घर के उत्तर-पूर्व कोने को अच्छे से साफ करना चाहिए और वहां एक लकड़ी का तख्ता बिछाना चाहिए। इस पर भगवान शिव, देवी गौरी और भगवान गणेश की मूर्तियाँ या चित्र रखें।


पूजा के लिए बाजार में करवा चौथ पूजा के कैलेंडर भी उपलब्ध हैं, जिनमें सभी देवी-देवताओं की तस्वीरें होती हैं। देवताओं की स्थापना के बाद, पाटे के उत्तर दिशा में जल से भरा एक घड़ा रखें और उसमें थोड़े चावल डालें। लोटे पर रोली और चावल का टीका लगाएं और लोटे के गले में एक पवित्र धागा बांधें। कुछ लोग लोटे के सामने देवी गौरी की मिट्टी की मूर्ति या पवित्र धागे में लिपटी सुपारी भी रखते हैं।


घड़ा रखने के बाद, देवी गौरी की पूजा करें और उन्हें सिंदूर अर्पित करें। इस दिन पूजा में चीनी से बने बर्तन का भी महत्व होता है। कुछ लोग मिट्टी का बर्तन भी रखते हैं। तीन अलग-अलग जगहों से चार पूरी और चार लड्डू लें। एक भाग पानी के बर्तन पर, दूसरा भाग मिट्टी या चीनी के बर्तन पर रखें और तीसरा भाग पूजा के दौरान महिलाएं अपनी साड़ी या चुन्नी के पल्लू में बांध लें।


अब देवी के सामने घी का दीपक जलाएं और करवा चौथ की कथा पढ़ें। पूजा के बाद, अपनी साड़ी के पल्लू में और करवे पर रखे प्रसाद को अपने बेटे या पति को खिलाएं और करवे पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें। बचे हुए जल से भरे करवे को पूजा स्थल पर ही छोड़ दें। रात को जब चाँद निकल आए, तो इस करवे से चाँद को जल अर्पित करें और घर में जो भी आपने बनाया हो, उसका भोग लगाएं।


अर्घ्य देने के बाद, छलनी से चाँद और अपने पति का चेहरा देखें। फिर, अपने पति के हाथ से जल लेकर उनके चरण स्पर्श करें। अंत में, थाली में रखे प्रसाद से अपना व्रत खोलें। व्रत खोलने के बाद, आप घर का बना खाना खा सकती हैं।