किराए पर घर लेने से पहले ध्यान देने योग्य 8 महत्वपूर्ण बातें
किराए पर घर लेने के लिए रेंटल एग्रीमेंट की अहमियत
यदि आप किराए पर घर लेने की योजना बना रहे हैं, तो रेंटल एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। किसी भी संपत्ति को किराए पर देने या लेने के लिए, एक उचित किराया समझौता होना चाहिए। बिना इस समझौते के, भविष्य में आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह दस्तावेज़ किरायेदार और मकान मालिक के बीच की शर्तों को स्पष्ट करता है, जिस पर दोनों पक्षों को हस्ताक्षर करना होता है।
इसमें किराए में वृद्धि, मरम्मत और रखरखाव से संबंधित जानकारी शामिल होती है। आइए जानते हैं कि रेंटल एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करते समय किन 8 गलतियों से बचना चाहिए।
गलत किरायेदार से बचें
किसी भी संपत्ति को किराए पर देने से पहले, किरायेदार की पूरी जानकारी प्राप्त करें। गलत किरायेदार का चयन करने से भविष्य में आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
किराए का सही निर्धारण
यदि आपके पास संपत्ति है, तो आपको उसके रखरखाव पर खर्च करना पड़ता है। इसलिए, यह सुनिश्चित करें कि आपका किरायेदार भी संपत्ति का सही तरीके से ध्यान रखे और उसी के अनुसार किराया तय करें।
किरायेदारी को पेशेवर तरीके से स्थापित करें
किरायेदारी को एक व्यवसाय के रूप में समझें, न कि शौक के रूप में। इसलिए, किराए के समझौते को सही तरीके से निष्पादित करने के बाद ही संपत्ति किरायेदार को सौंपें।
किरायेदारी की अवधि
कानूनी रूप से, सामान्य किरायेदारी की अवधि 11 महीने होती है। आपको इसे सोच-समझकर तय करना चाहिए।
समाप्ति और नोटिस
यदि किरायेदार समझौते की शर्तों का पालन नहीं करता है, तो मकान मालिक उसे संपत्ति खाली करने के लिए कह सकता है। इसके लिए, दोनों पक्षों को एक महीने का नोटिस देना आवश्यक है।
लॉक-इन अवधि
इस शर्त के अनुसार, मकान मालिक किरायेदार को बिना सूचित किए संपत्ति को शहर से बाहर नहीं जाने दे सकता। यदि किरायेदार दूसरे शहर में जाना चाहता है, तो उसे पहले मकान मालिक को सूचित करना होगा।
भुगतान की शर्तें
मकान मालिक को किराए के भुगतान के लिए एक निश्चित तारीख निर्धारित करनी होगी, और किरायेदार को उसी तारीख को किराया चुकाना होगा।
डिफॉल्ट क्लॉज के तहत, मकान मालिक अपनी शर्तें और जुर्माना खुद तय कर सकता है।