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अहंकार का त्याग: ओशो के विचारों से जानें जीवन में इसके प्रभाव

इस लेख में ओशो के विचारों के माध्यम से अहंकार के प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। जानें कि कैसे अहंकार व्यक्ति को सत्य से दूर करता है, रिश्तों में विष घोलता है, और अंततः विनाश का कारण बनता है। ओशो के अनुसार, विनम्रता ही जीवन की ओर ले जाती है। इस लेख में आपको अहंकार के त्याग के उपाय भी मिलेंगे, जो आपकी आध्यात्मिक यात्रा में सहायक हो सकते हैं।
 

अहंकार: एक अदृश्य बाधा


मानव जीवन में एक बड़ी चुनौती है 'अहंकार' — यह एक ऐसा अदृश्य जहर है जो व्यक्ति को भीतर ही भीतर नष्ट करता है। ओशो रजनीश, जिनकी शिक्षाएं आत्मा को झकझोरने की क्षमता रखती हैं, ने अहंकार के बारे में गहराई से विचार किया है। उनका कहना है कि जब तक अहंकार का त्याग नहीं किया जाता, तब तक व्यक्ति अपनी असली पहचान नहीं जान सकता।


ओशो की चेतावनी

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/YBUXd5NCp9g?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/YBUXd5NCp9g/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="अहंकार का त्याग कैसे करें | ओशो के विचार | Osho Hindi Speech | अहंकार क्या है और इसे कैसे पराजित करे" width="695">


आज के तेज़ी से बदलते समाज में, जहाँ व्यक्ति की पहचान उसके धन, पद और प्रतिष्ठा से मापी जाती है, ओशो की चेतावनी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा था, “अहंकार मृत्यु की ओर ले जाता है, जबकि विनम्रता जीवन की ओर।” आइए ओशो के विचारों के माध्यम से समझते हैं कि अहंकार का त्याग न करने पर क्या भयानक परिणाम हो सकते हैं।


अहंकार के प्रभाव

1. सत्य से दूरी


ओशो के अनुसार, अहंकारी व्यक्ति अपने भीतर झाँक नहीं पाता। वह अपने झूठे 'मैं' की दीवारों के पीछे जीता है। जब तक 'मैं' बना रहेगा, तब तक परम सत्य की अनुभूति असंभव है.


2. संबंधों में विष


जहाँ अहंकार होता है, वहाँ प्रेम नहीं टिकता। ओशो ने कहा कि अहंकार दो व्यक्तियों के बीच दीवार बना देता है, जो धीरे-धीरे रिश्तों को कमजोर कर देता है.


3. अकेलापन


जो व्यक्ति 'मैं' की भावना में डूबा होता है, वह दूसरों से खुद को श्रेष्ठ समझने लगता है, जिससे वह अकेलेपन का शिकार हो जाता है.


4. मन की अशांति


ओशो के अनुसार, अहंकारी व्यक्ति हमेशा प्रतियोगिता में रहता है, जो मानसिक अशांति का कारण बनता है.


5. ज्ञान का अभाव


अहंकार व्यक्ति को नया सीखने से रोकता है। ओशो ने कहा, "अहंकार आपको मूर्ख बना देता है, क्योंकि आप मान लेते हैं कि आप सब जानते हैं."


6. आध्यात्मिक यात्रा में बाधा


ओशो के अनुसार, ध्यान और आत्मबोध की शुरुआत तब होती है जब 'मैं' समाप्त होता है.


7. दूसरों को नीचा दिखाना


अहंकारी व्यक्ति हमेशा चाहता है कि उसे सराहा जाए, जिससे वह नकारात्मकता में डूबा रहता है.


8. नफ़रत और द्वेष


अहंकार से जन्मी श्रेष्ठता की भावना जब चुनौती महसूस करती है, तो वह नफ़रत और ईर्ष्या का रूप ले लेती है.


9. असली खुशी से दूरी


अहंकार तात्कालिक संतोष दे सकता है, लेकिन दीर्घकालिक आनंद नहीं.


10. विनाश का कारण


इतिहास बताता है कि अहंकार ने न केवल व्यक्तियों, बल्कि साम्राज्यों को भी नष्ट किया है.


समाधान क्या है?

ओशो के अनुसार, समाधान है — ध्यान, मौन और समर्पण। उन्होंने सिखाया कि स्वयं को देखो, अपने 'मैं' को पहचानो और फिर उसे त्याग दो। जब 'मैं' मिटता है, तब 'वह' प्रकट होता है — वही परम शिव, वही ब्रह्म। ओशो कहते हैं, “जब तुम विनम्र होते हो, तब तुम ब्रह्मांड के साथ एक हो जाते हो। जब अहंकार होता है, तब तुम अकेले पड़ जाते हो, और अकेलापन ही सबसे बड़ा दुख है।”