अहमदाबाद विमान हादसे के बाद यात्रियों में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ: एक नई आध्यात्मिक पहल
अहमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद यात्रियों का व्यवहार
अहमदाबाद में हाल ही में हुए विमान हादसे के बाद हवाई यात्रियों के व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। इस घटना ने न केवल सुरक्षा को लेकर चिंताओं को बढ़ाया है, बल्कि यात्रियों के मन में बेचैनी और डर भी पैदा कर दिया है। इस मानसिक अशांति के बीच, अब अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में एक नई आध्यात्मिक पहल देखने को मिल रही है, जहां केबिन की लाइट्स बंद होने पर सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया जा रहा है।
सामूहिक पाठ से यात्रियों में एकजुटता
यह अनोखा चलन यात्रियों के बीच एक नई एकजुटता और मानसिक शांति की भावना को उजागर कर रहा है। उड़ानों में यह सामूहिक पाठ न केवल यात्रियों को सुकून प्रदान कर रहा है, बल्कि सुरक्षा के प्रति विश्वास भी बढ़ा रहा है। यह दृश्य अब केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी चर्चा का विषय बन चुका है।
अहमदाबाद विमान हादसे का दुखद विवरण
गुरुवार को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए उड़ान भरने वाला एक विमान टेकऑफ के तुरंत बाद पास के मेडिकल कॉलेज की इमारत से टकरा गया। इस भयानक हादसे में 242 में से 241 यात्रियों की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जिनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी शामिल थे। इस त्रासदी ने न केवल गुजरात, बल्कि पूरे देश को शोक में डुबो दिया और नागरिक विमानन सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
यात्रियों में बढ़ता डर
इस हादसे के बाद यात्रियों में भय का माहौल उत्पन्न हो गया है। कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में अब यात्री स्वेच्छा से सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं, खासकर रात की उड़ानों में जब केबिन की लाइट्स बुझा दी जाती हैं। एक यात्री ने कहा कि जब हम एक साथ हनुमान चालीसा पढ़ते हैं, तो मन को बहुत सुकून मिलता है और ऐसा लगता है कि कोई हमारी रक्षा कर रहा है।
विदेशों में भी फैल रही आध्यात्मिक पहल
यह प्रवृत्ति अब केवल भारतीय उड़ानों तक सीमित नहीं रह गई है। सोशल मीडिया और वीडियो प्लेटफॉर्म्स पर कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें लंदन, दुबई और न्यूयॉर्क जाने वाली उड़ानों में भारतीय यात्री सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए नजर आ रहे हैं। विदेशों में यह पहल भारतीय यात्रियों के विश्वास और उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव का प्रतीक बन रही है।