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ऑनलाइन किराना खरीदारी: सुविधाजनक लेकिन महंगी

आजकल, ऑनलाइन किराना खरीदारी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ ही इसकी लागत भी बढ़ रही है। ग्राहक अब स्थानीय विक्रेताओं की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर छिपे हुए चार्ज उनकी खरीदारी को महंगा बना रहे हैं। जानें कि कैसे ग्राहक अब एक साथ अधिक आइटम्स का ऑर्डर देकर अतिरिक्त खर्चों से बचने की कोशिश कर रहे हैं और कंपनियां इस चुनौती का सामना कैसे कर रही हैं।
 

ऑनलाइन किराना खरीदारी का बढ़ता चलन

आजकल के तेज़ी से बदलते जीवन में, लोग किराने का सामान ऑनलाइन मंगवाने के आदी हो गए हैं। विशेष रूप से क्विक कॉमर्स ऐप्स जैसे स्विगी इंस्टामार्ट, ब्लिंकिट, और जेप्टो ने इसे इतना सरल बना दिया है कि अब घर बैठे ही 10 मिनट में ताजा फल, सब्जियां और अन्य आवश्यक वस्तुएं मिल जाती हैं। हालांकि, इस सुविधा की एक बड़ी समस्या यह है कि यह अब सस्ती नहीं रह गई है।


छिपे हुए चार्ज: खर्चों में वृद्धि का कारण

जब भी कोई छोटा ऑर्डर किया जाता है, तो इसके साथ कई अतिरिक्त चार्ज जुड़ जाते हैं। इनमें हैंडलिंग फीस, डिलिवरी चार्ज, जीएसटी, स्मॉल कार्ट फीस, बारिश में डिलिवरी पर रेन फीस और ट्रैफिक या उच्च मांग के समय सर्ज फीस शामिल हैं। ये सभी छोटे-छोटे चार्ज मिलकर कभी-कभी कुल खर्च को 50 रुपये तक बढ़ा देते हैं। ग्राहक अब महसूस कर रहे हैं कि ऑनलाइन खरीदारी सुविधाजनक तो है, लेकिन महंगी भी हो गई है। इसलिए, वे दुकान से सामान खरीदने और ऑनलाइन कीमतों की तुलना करने लगे हैं ताकि अपने खर्चों को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकें।


ऑनलाइन ऐप्स की कीमतें: असली कीमत से अधिक

जेप्टो जैसे ऐप्स पर कई बार मुफ्त कूपन मिलने के बावजूद, उत्पाद की कीमत उसकी वास्तविक कीमत से अधिक हो जाती है। उदाहरण के लिए, यदि एक आइटम की कीमत 750 रुपये है और उस पर 125 रुपये का फ्री कैश कूपन लगाया जाता है, तो कीमत 625 रुपये होनी चाहिए। लेकिन हैंडलिंग चार्ज जोड़ने के बाद फाइनल रेट 773 रुपये तक पहुंच जाता है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि कूपन लगाने के बाद भी कीमतें असली कीमत से ज्यादा क्यों होती हैं।


स्थानीय विक्रेताओं की ओर बढ़ती रुचि

इकॉनमिक्स टाइम्स ने दिल्ली की उर्वशी शर्मा से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि वे अब फल और सब्जियां स्थानीय विक्रेताओं से खरीदना पसंद करती हैं, क्योंकि वहां की कीमतें 30-40 रुपये तक कम होती हैं। कुछ सामान जैसे टमाटर और मटर ऑनलाइन सस्ते दिखते हैं, लेकिन जब हैंडलिंग और डिलिवरी चार्ज जोड़ते हैं, तो कीमतें लगभग बराबर हो जाती हैं।


ऑर्डर की नई रणनीतियां और कंपनियों की चुनौतियां

पहले लोग क्विक कॉमर्स ऐप्स से बार-बार छोटे ऑर्डर करते थे, लेकिन अब वे एक साथ अधिक आइटम्स का ऑर्डर देने लगे हैं ताकि बार-बार के अतिरिक्त चार्ज से बचा जा सके। यह रणनीति ग्राहकों के लिए फायदेमंद है, लेकिन कंपनियों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है क्योंकि इससे कुल ऑर्डर वैल्यू पर असर पड़ता है और उनका स्टॉक लंबे समय तक रुका रहता है।


कंपनियों के समाधान: मैक्स सेवर प्लान

मार्केट रिसर्च फर्म डाटम इंटेलिजेंस के सलाहकार सतीश मीणा के अनुसार, कंपनियां अब ग्राहकों को ‘प्लान मैक्स सेवर’ जैसे सब्सक्रिप्शन और पैकेज प्रदान कर रही हैं ताकि खरीदारों को कीमतें अधिक किफायती लगें और वे बार-बार महंगे चार्ज से बच सकें।