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ओशो के विचार: असली रूप में रहकर कैसे बनाएं मजबूत रिश्ते

ओशो के विचारों के अनुसार, असली रिश्तों की नींव स्वाभाविकता और आत्मविश्वास पर आधारित होती है। जब लोग दिखावे में रहते हैं, तो उनके रिश्ते अधिक समय तक नहीं टिकते। ओशो का मानना है कि प्यार को प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक प्रक्रिया के रूप में देखना चाहिए। जानें कैसे अपने असली रूप में रहकर आप दूसरों को आकर्षित कर सकते हैं और स्थायी रिश्ते बना सकते हैं।
 

प्रभावित करने की कोशिश: असुरक्षा का संकेत


आजकल, लोग दूसरों को प्रभावित करने के लिए कई बार अपने असली व्यक्तित्व को छिपा लेते हैं। विशेषकर, युवा वर्ग नई-नई चीजें अपनाकर सामने वाले का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करता है। कभी-कभी ये प्रयास सफल भी होते हैं, लेकिन ऐसे रिश्ते ज्यादा समय तक नहीं टिकते। प्रसिद्ध दार्शनिक ओशो ने इस विषय पर कहा है कि किसी को प्रभावित करने की कोशिश करना असुरक्षा और बनावटीपन का संकेत है। उनका मानना है कि जब आप किसी को 'प्रभावित' करने का प्रयास करते हैं, तो आप अपने असली स्वरूप को छिपा लेते हैं और एक नकली छवि धारण कर लेते हैं। कई स्थायी रिश्ते झूठ की नींव पर खड़े होते हैं।


स्वाभाविकता का महत्व

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स्वाभाविक बनें, आकर्षण अपने आप पैदा होगा


ओशो का कहना है कि यदि आप अपने असली रूप में रहेंगे, तो जो लोग आपकी ओर आकर्षित होंगे, वे आपके वास्तविक स्वरूप से जुड़ेंगे। यदि आप दिखावा करेंगे, तो लोग केवल उस दिखावे से जुड़ेंगे, जिससे रिश्ते की स्थिरता नहीं बनी रहती। उनके अनुसार, संतुलित और आत्मविश्वासी लोग स्वाभाविक रूप से दूसरों को आकर्षित करते हैं।


प्यार को प्रदर्शन न बनाएं

प्यार को एक प्रक्रिया बनाएं, प्रदर्शन नहीं


ओशो का यह भी मानना है कि प्यार को किसी वस्तु के रूप में नहीं देखना चाहिए। जब लोग बाहरी चीजों जैसे कपड़े, कार, या पैसे का सहारा लेकर प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, तो वे प्यार की प्रक्रिया को एक प्रदर्शन में बदल देते हैं। ओशो इसे मनोवैज्ञानिक हिंसा मानते हैं, जिसमें व्यक्ति अपनी आत्मा को खो देता है।


आप जो हैं, वही बनें

आप जो हैं, वही बनें


ओशो के विचारों का सार यह है कि जब आप किसी को पाने के लिए अपने असली स्वरूप को छिपाते हैं, तो आपकी प्रासंगिकता समाप्त हो जाती है। इस स्थिति में जो भी आकर्षण उत्पन्न होता है, वह केवल सतही होता है।