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कुंडली मिलान के 36 गुण: विवाह में अनुकूलता का रहस्य

शादी के मौसम में कुंडली मिलान का महत्व बढ़ जाता है। यह लेख 36 गुणों के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जो विवाह में अनुकूलता का निर्धारण करते हैं। जानें कि ये गुण क्या हैं, क्यों जरूरी हैं, और कितने गुण मिलना चाहिए। क्या आप जानते हैं कि 18 से 36 गुणों का मिलान कैसे दांपत्य जीवन को प्रभावित करता है? इस लेख में जानें सभी महत्वपूर्ण बातें।
 

कुंडली मिलान के 36 गुण

Kundli Matching 36 Gun: देशभर में शादी का मौसम चल रहा है और हर शुभ अवसर पर हजारों शादियाँ हो रही हैं। जब भी विवाह की चर्चा होती है, सबसे पहले कुंडली मिलान का जिक्र होता है। यह माना जाता है कि यदि वर और वधू की कुंडली में 36 गुण मिलते हैं, तो उनकी जोड़ी को स्वर्गीय माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये 36 गुण वास्तव में क्या होते हैं और इनका मिलान क्यों इतना महत्वपूर्ण है?


36 गुणों की पहचान

जब विवाह के लिए दो व्यक्तियों की कुंडली का मिलान किया जाता है, तो सबसे पहले इन 36 गुणों की तुलना की जाती है। यह मिलान उनकी राशियों, नक्षत्रों और जातक के स्वभाव के आधार पर किया जाता है। इसी मिलान से यह तय होता है कि विवाह के बाद का जीवन कैसा होगा।


ज्योतिष के अनुसार, कम से कम 18 गुणों का मिलना आवश्यक है। यदि 18 गुण से कम मिलते हैं, तो दांपत्य जीवन में तनाव, झगड़े और अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए, आमतौर पर 18 गुण से कम वाले जोड़ियों की शादी को आगे नहीं बढ़ाया जाता है।


शादी के लिए अनुकूलता के 36 गुण

यहाँ वे 36 गुण दिए गए हैं, जिनके आधार पर विवाह के लिए अनुकूलता का निर्धारण किया जाता है:


नाड़ी – 8 गुण


भकूट – 7 गुण


गण मैत्री – 6 गुण


ग्रह मैत्री – 5 गुण


योनि मैत्री – 4 गुण


ताराबल – 3 गुण


वश्य – 2 गुण


वर्ण – 1 गुण


शादी के लिए गुणों की आवश्यकता

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार:


यदि 18 से 25 गुण मिलते हैं, तो शादी में कोई बड़ी बाधा नहीं होती।


25 से 32 गुण मिलने पर विवाह जीवन को बेहद सुखद माना जाता है।


32 से 36 गुण मिलना सबसे उत्तम होता है — इसे परफेक्ट मैच कहा जाता है।


हालांकि, 32 से अधिक गुण मिलना बहुत कम देखने को मिलता है और इसे अत्यंत दुर्लभ माना जाता है।