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गरुड़ पुराण के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण उपाय

गरुड़ पुराण में संतान प्राप्ति के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय बताए गए हैं। माता-पिता का स्वभाव और गर्भाधान के समय का सही चुनाव बच्चे के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। जानें कौन से दिन और नक्षत्र संतान के लिए शुभ माने जाते हैं और कैसे सकारात्मक सोच और व्यवहार से एक गुणवान संतान का जन्म संभव है।
 

संतान के गुण और माता-पिता का प्रभाव


एक बच्चे का व्यक्तित्व उसके माता-पिता के स्वभाव पर निर्भर करता है। प्रारंभिक शिक्षा बच्चे को अपने घर से ही मिलती है, और वे वहीं से सीखी गई आदतों को अपनाते हैं। सभी माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चे स्वस्थ और योग्य बनें। उनके जीवन की दिशा उनके पूर्वजन्म के कर्मों पर भी निर्भर करती है। गरुड़ पुराण में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिनसे एक गुणवान और योग्य संतान का जन्म संभव है।


गर्भाधान के समय के उपाय

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/K-gyz9D_qLE?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/K-gyz9D_qLE/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="गरुड़ पुराण के अनुसार अच्छा वक्त आने से पहले मिलते हैं ये 8 संकेत। सकारात्मक संकेत | Garud Puran |" width="695">


गरुड़ पुराण में गर्भाधान के समय कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से एक श्रेष्ठ संतान का जन्म होता है। एक उत्तम संतान से परिवार की प्रतिष्ठा बनी रहती है और उसका मान-सम्मान बढ़ता है। हर दांपत्य जीवन में एक उत्तम संतान की कामना होती है। गरुड़ पुराण के पंद्रहवें अध्याय में संतान प्राप्ति के लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिनसे अच्छे चरित्र और सत्यनिष्ठ संतान का जन्म संभव है।


गर्भाधान के लिए शुभ दिन और नक्षत्र

गुणवान और सौभाग्यशाली संतान प्राप्ति के लिए, मासिक धर्म के बाद के आठवें और चौदहवें दिन संभोग करना शुभ माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान स्त्री के साथ संभोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस समय स्त्री का शरीर अशुद्ध होता है।


अच्छे चरित्र और बुद्धि वाली संतान के लिए, मासिक धर्म के सात दिन बाद गर्भधारण करना चाहिए। सम दिनों में गर्भधारण करने से पुत्र की प्राप्ति होती है, जबकि विषम दिनों में पुत्री की प्राप्ति होती है।


पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति को स्त्री के मासिक धर्म समाप्त होने के आठवें, दसवें, बारहवें, चौदहवें और सोलहवें दिन गर्भधारण करना चाहिए। गर्भधारण के समय पति-पत्नी का व्यवहार सकारात्मक होना चाहिए, क्योंकि इसका प्रभाव बच्चे पर पड़ता है।


इसके अलावा, नौ महीने तक माँ का आचरण अच्छा होना चाहिए। इस दौरान पूजा करना शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे बच्चे में अच्छे संस्कार आते हैं।


सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार गर्भधारण के लिए शुभ दिन माने जाते हैं। अष्टमी, दशमी और द्वादशी भी शुभ मानी जाती हैं।


गरुड़ पुराण के अनुसार, रोहिणी, मृगशिरा, हस्त, चित्रा, पुनर्वसु, पुष्य, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, उत्तराषाढ़ा और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र गर्भधारण के लिए शुभ माने जाते हैं।


गर्भधारण के समय माता को सकारात्मक विचार रखने चाहिए और दान करना शुभ माना जाता है।